श्री एस के कपूर “श्री हंस”

(बहुमुखी प्रतिभा के धनी  श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं।  आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।कल का सुंदर संसार, मिलकर आज ही संवार।।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 51 ☆

☆ मुक्तक  ☆ ।।कल का सुंदर संसार, मिलकर आज ही संवार।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

यदि  बनाना  है  कल  अच्छा तो करो  आज      तैयारी।

यदि पहुंचना मंजिल  पर कल तो करो आज होशियारी।।

भविष्य  का  निर्माण  प्रारंभ  ही  वर्तमान से     होता है।

यदि रहना है कल को खुश तो करो दूर आज लाचारी।।

[2]

तुम्हारी हर बात में हमेशा कुछ गहराई होनी चाहिये।

तुम्हारे काम   में सदा  ही कुछ भलाई होनी चाहिये।।

सुधार करते रहो हर गलती का भी   तुम  हर कदम।

टूटे रिश्तों   की भी    हमेशा से तुरपाई होनी चाहिये।।

[3]

जीवन प्रभु का   दिया       एक अनमोल सा उपहार है।

मूल उद्देश्य इसका रखना सबके ही  साथ   सरोकार है।।

एक ही मिला है जीवन जो फिर मिलेगा    न     दुबारा।

यही हो भावना कि सम्पूर्ण विश्व एक ही तो परिवार है।।

[4]

मिलकर बनायों संसार जिसमें बस अमन चैन सुख हो।

बस जाये ऐसा  भाई चारा कि  किसी को न दुःख  हो।।

भाषा संस्कार संस्कृति सबका  ही  होता रहे    संवर्धन।

दुनिया न   कहलाये    कलयुग बस मानवता का युग हो।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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