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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय  🌹

(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है । देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)

साहित्य की दुनिया से अब कोई क्षेत्र अछूता नहीं रहा । साहित्य हमारे समाज का ऐसा आइना है जो सीसीटीवी की तरह सब कुछ सामने रख देता है । हमें अपने वरिष्ठ साहित्यकारों को सदैव स्मरण करते रहना चाहिए । जिन पीढ़ियों ने अपने साहित्यकारों को स्मरण किया वे सराहनीय हैं । अनिता राकेश ने मोहन राकेश को सदैव याद करवाया तो गगन गिल भी निर्मल वर्मा को स्मरण करते कोई न कोई कार्यक्रम रखती हैं । राजेंद्र यादव को उनकी बेटी रचना यादव हर वर्ष साहित्यिक आयोजन कर याद करती हैं । इसी क्रम में पिछले दिनों दो कार्यक्रम हुए जिनका उल्लेख बहुत जरूरी है ।

धर्मवीर भारती : धर्मयुग के झरोखे से : धर्मयुग पत्रिका के यशस्वी संपादक और खुद श्रेष्ठ लेखक धर्मवीर भारती को मुम्बई में व्यंग्य यात्रा के संपादक डाॅ प्रेम जनमेजयधर्मवीर भारती की धर्मपत्नी डाॅ पुष्पा भारती ने स्मरण किया एक पुस्तक का विमोचन कर व दो रचनाकारों को सम्मानित कर । दोनों रचनाकार तो उनके साथ काम ही करते थे –आबिद सुरती जिनका धर्मयुग में बिल्कुल अंत में ढब्बू जी बहुत लोकप्रिय कार्टून कोना था । दूसरे धर्मयुग में ही सहायक संपादक और आजकल नवनीत के संपादक विश्वनाथ सचदेव हैं । पुस्तक का विमोचन किया गया –धर्मवीर भारती, धर्मयुग के झरोखे से, जिसमें धर्मयुग के स्वर्णकाल की स्वर्णिम यादों को अनेक लेखकों ने संस्मरणों के रूप में लिखा है जिसका संपादन डां प्रेम जनमेजय ने किया है और मुम्बई के ही प्रलेक प्रकाशन ने इसे प्रकाशित किया है । यह बहुत ही उचित और सही तरीका है ऐसे यशस्वी संपादक को याद करने का ! वैसे डाॅ प्रेम जनमेजय अपने गुरु डाॅ नरेंद्र कोहली को भी ऐसे ही याद करते हैं ।

सिरसा में पूरन मुद्गल को याद किया : हरियाणा के सिरसा में भी पच्चीस दिसम्बर को ऐसे ही चर्चित रचनाकार पूरन मुद्गल को उनके परिवार की ओर से साहित्यिक आयोजन कर स्मरण किया गया । पूरन मुद्गल हरियाणा के ऐसे रचनाकार रहे जो न केवल लघुकथा बल्कि संस्मरणों की पुस्तक -शब्द के आठ कदम के लिए चर्चित रहे । उनकी बड़ी बेटी डाॅ शमीम शर्मा उनकी ही प्रेरणा से लेखिका बनीं और लघुकथा के हस्ताक्षर जैसा संकलन दिया और हास्य-व्यंग्य भी लिखती हैं । सिरसा के युवक साहित्य सदन में भगत सिंह के विचारों की सान पर आज का भारत व्याख्यान का आयोजन किया गया क्योंकि पूरन मुद्गल भगत सिंह के विचारों से बहुत प्रभावित थे । एम एम जुनेजा को आमंत्रित किया गया था । अध्यक्षता स्वर्ण सिंह विर्क ने की और हरभगवान चावला का कविता पाठ । वीरेंद्र भाटिया ने पूरन मुद्गल मेरी नजर में के माध्यम से परिचय दिया तो बेटी डाॅ शमीम शर्माविशाल वत्स रहे इस आयोजन के पीछे ! यह आयोजन हर वर्ष होता है । यह आयोजन होता रहे ।

साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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