श्री एस के कपूर “श्री हंस”

(बहुमुखी प्रतिभा के धनी  श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं।  आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।जीवन अर्थ मर्म।। युग निर्माण की ओर प्रथम कदम।।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 35 ☆

☆ मुक्तक ☆ ।।जीवन अर्थ मर्म।। युग निर्माण की ओर प्रथम कदम।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस”☆ 

[1]

कभी   नीम सी  तो कभी मीठी है जिंदगी।

मत  ज्यादा उलझा कि सीधी है जिंदगी।।

सुख दुःख धूप छाँव हर किसी के जीवन में।

झांककर देखोगे हर किसी की आपबीती है जिंदगी।।

[2]

मत तमन्ना रख तू कोई भगवान बनने  की।

बस आरजू हो अच्छे काम कुछ इंसान बनने की।।

यह जीवन सफल होगा परोपकार कोशिश में।

हरपल कोशिश हो इंसानियत का सम्मान करने की।।

[3]

जान लो कि एक मन को दूजे से कुछ आशा होती है।

मित्रता व रिश्तों की यही इक सही परिभाषा होती है।।

बिन कहे    ही जान लें हम दूजे के भीतर व्यथा को।

हर रिश्ते में  ही परस्पर यही इक अभिलाषा होती है।।

[4]

जान लीजिए यह जीवन अर्थ निर्माण का ही कदम है।

यही मिलकर बनता जाता  युग निर्माण का धरम है।।

हम   बदलेंगे   तो  युग बदलेगा यही  एक सच्चाई।

छिपा इसी में तत्व युग निर्माण का यही सच्चा करम है।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments