श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है पितृ दिवस पर आपकी एक भावप्रवण कविता “# नया सवेरा आयेगा #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 88 ☆

☆ # नया सवेरा आयेगा # ☆ 

कब तक अंधकार में भटकोगे

कब तक जुमलों से बहकोगे

कब तक सच के लिए तरसोगे

हाथ उठाओ

आवाज लगाओ

लोगों को जगाओ

तब यह तिमिर छट जायेगा

नया सवेरा आयेगा

 

चारों तरफ दीवारें हैं

रास्ते बंद सारे हैं

सब गम के मारे हैं

सबको गले लगाना होगा

पत्थरों मे राह बनाना होगा

अंधविश्वास भगाना होगा

तब यह शोषण घट जाएगा

नया सवेरा आयेगा  

 

कांटों भरी राह है

दुश्वारियां अथाह है

कदम कदम पर आह है

शिकंजों में कसे जाओगे

यातनाएं हजार पाओगे

हो सकता है मारे जाओगे

तब मरने का डर मिट जाएगा

नया सवेरा आयेगा

नया सवेरा आयेगा /

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Subedarpandey

उत्कृष्ट सारगर्भित रचना सृजन अभिनंदन बधाई आदरणीय श्री