श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 31 – मनोज के दोहे

(बरजोरी, चूनर, अँगिया, रसिया, गुलाल)

बरजोरी

बरजोरी हैं कर रहे, ग्वाल-बाल प्रिय संग।

श्याम लला भी मल रहे, गालों पर हैं रंग।।

 

चूनर

चूनर भीगी रंग से, कान्हा से तकरार।

राधा भी करने लगीं, रंगों की बौछार।

 

अँगिया

फागुन का सुन आगमन, होती अँगिया तंग।

उठी हिलोरें प्रेम की, चारों ओर उमंग।।

 

रसिया

रसिया ने फिर छेड़ दी, ढपली लेकर तान।

ब्रज में होरी जल गई, गले मिले वृजभान।।

 

गुलाल

रंगों की बरसात हो, माथे लगा गुलाल।

मिले गले फिर हैं सभी, करने लगे धमाल।।

 

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)-  482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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