डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं  “भावना के दोहे।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 129 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे ☆

लगी द्वार पर टकटकी, देख रही है राह।

जिज्ञासा मन में जगी, बेटे की है चाह।।

 

दया, मोह, ममता नहीं, नहीं किसी से नेह।

जीवन के अब अंत में, छूट गया है गेह।।

 

आज नहीं तुम्हें समझ, कल का कैसा हाल।

सोच रहे है हम वही, नहीं लौटता साल।।

 

टूट गए रिश्ते सभी, तुझे नहीं पहचान।

वक्त तुझे सिखला रहा, बन जाओ इंसान।।

 

माँ का अक्सर उठ रहा, दुआ के लिए हाथ।

अंतर्मन कहता यही, रहते मिलजुल साथ।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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