आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी द्वारा रचित  ‘मिल्टनियन सॉनेट।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 72 ☆ 

☆ मिल्टनियन  सॉनेट ☆

(छंद दोहा)

चित्रगुप्त मन में बसें, हों मस्तिष्क महेश।

शारद उमा रमा रहें, आस-श्वास- प्रश्वास।

नेह नर्मदा नयन में, जिह्वा पर विश्वास।।

रासबिहारी अधर पर, रहिए हृदय गणेश।।

 

पवन देव पग में भरें, शक्ति गगन लें नाप।

अग्नि देव रह उदर में, पचा सकें हर पाक।

वसुधा माँ आधार दे, वसन दिशाएँ पाक।।

हो आचार विमल सलिल, हरे पाप अरु ताप।।

 

रवि-शशि पक्के मीत हों, सखी चाँदनी-धूप।

ऋतुएँ हों भौजाई सी, नेह लुटाएँ खूब।

करतल हों करताल से, शुभ को सकें सराह।

 

तारक ग्रह उपग्रह विहँस मार्ग दिखाएँ अनूप।।

बहिना सदा जुड़ी रहे, अलग न हो ज्यों दूब।।

अशुभ दाह दे मनोबल, करे सत्य की वाह।।

 

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

२४-१२-२०२१

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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