श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# शहंशाह#”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 58 ☆

☆ # शहंशाह # ☆ 

कौन जानता है कल क्या होगा

अच्छा होगा या बुरा होगा

जो कुछ भी है बस यह पल है

जो भी होगा अच्छा होगा

 

बदलियां आसमां पर जायेगी

बिजलियाँ कहर बरपायेगी

तूफान भी आयेंगे बहुत

तूफानों से हमें लड़ना होगा

 

धूप ही धूप होंगी अगर

जिस्म सारे झुलस जायेंगे मगर

रूह भी छांव को तरसेंगी

बादल बन हमें बरसना होगा

 

फूलों के संग यहां कांटे भी होंगे

दुनिया ने अपनी सहूलियत से

बांटें भी होंगे

अपनी अस्मिता को बचाने के लिए

अपना सब कुछ दांव पर लगाना होगा

 

कई सिकंदर आये

और ना जाने किधर गये

कई साम्राज्य बनें

और अंत में बिखर गये

गाते गाते कह रहा है

वो राह का फकीर

वक्त शहंशाह है

हमें संभलना होगा /

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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