श्री संतोष नेमा “संतोष”

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी  कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप  कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं.  “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में प्रस्तुत हैं  एक भावप्रवण रचना  “वो आभास हूँ मैं….। आप श्री संतोष नेमा जी  की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)

☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 96 ☆

☆ वो आभास हूँ मैं …. ☆

प्यार का अहसास जगाए वो आस हूँ मैं

प्यास प्यासे की बुझाए वो आभास हूँ मैं

 

डूब गए हैं  जो  निराशाओं  के  कूप में

आस जीवन  की बढ़ाये  वो सांस हूँ मैं

 

बुलंद  रखता हूँ अपना   हौसला मैं  सदा

आत्म-शक्ति जो बढ़ाये, वो अहसास हूँ मैं

 

देख सकता नहीं मुसीबत में, मैं किसी  को

दीप आशा के जलाए, वो प्रकाश हूँ मैं

 

खेला था राधा के साथ  कभी श्याम ने

जो  प्रेम  छलकाता  जाए वो रास हूँ मैं

 

मुझसे मिलने से हो एहसास संतोष का

गले सबको जो लगाए, वो खास हूँ मैं

 

© संतोष  कुमार नेमा “संतोष”

सर्वाधिकार सुरक्षित

आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.) मो 9300101799
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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