श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”  महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत हैं आपकी  एक अतिसुन्दर एवं विचारणीय कविता  “शामियाने…”। )

☆  तन्मय साहित्य  #107 ☆

☆ शामियाने…

सजे सँवरे झिलमिलाते शामियाने

रोशनी  में  ये  नहाते,  शामियाने।

 

हो खुशी या गम, सदा तत्पर रहें ये

वक्त पर रिश्ते निभाते, शामियाने।

 

गर्मियों में धूप से हमको बचाये

बारिशों में बनें छाते, शामियाने।

 

कनातें कालीन, दरियाँ, कुर्सियाँ

करे मन की बात इनसे, शामियाने।

 

ऊँच-नीच न कोई छोटा या बड़ा

गले से सब को लगाते, शामियाने।

 

पर्व उत्सव मिलन हो या हो विदाई

स्वयं को निर्लिप्त पाते, शामियाने।

 

आपदा विपदा पड़े जब भी जहाँ भी

वहाँ पर है काम आते, शामियाने।

 

दृश्य अगणित बतकही, किस्से अनेकों

सोच, मन में मुस्कुराते, शामियाने।

 

शामियानों की जो करते हैं हिफाज़त

गृहस्थी उनकी चलाते, शामियाने।

 

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

Please share your Post !

Shares
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments