श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

ई- अभिव्यक्ति में संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी का हार्दिक स्वागत है। हम अपने प्रबुद्ध पाठकों के लिए  आदरणीय श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी का साप्ताहिक स्तम्भ ” मनोज साहित्य “ प्रारम्भ कर रहे हैं। अब आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 1 – सजल – जीवन हो मंगलमय सबका… ☆ 

सजल

सीमांत – इया

पदांत – है

मात्रा भार -16

 

सागर को जब पार किया है।

तब जग ने सम्मान दिया है।।

 

डरे नहीं झंझावातों से,

जीवन को निर्भीक जिया है।

 

जितनी चादर मिली जगत में, 

उसको ओढ़ा और सिया है।

 

स्वाभिमान से जीना सीखा,

प्रेम भाव में गरल पिया है।

 

लक्ष्य साध कर बढ़े सदा तो,

विजयी-भव वरदान लिया है।

 

पास रहें बेटा कितने पर

पीड़ा हरती बस बिटिया है ।

 

जीवन हो मंगलमय सबका,

मानवता ही वह पहिया है ।

 

राम कृष्ण गौतम मसीह ने ,

दुख-दर्दों का हरण किया है।

 

सागर कितना बड़ा रहा पर,

प्यास बुझाने को नदिया है।

 

©  मनोज कुमार शुक्ल ” मनोज “

17 मई 2021

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)-  482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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सूरज

स्वाभिमान और समर्पण दोनों एक साथ! सुंदर कविता