डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं   “भावना के दोहे। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 92 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे ☆

मन से पूजा कर रहा,

करें समर्पित आप।

राम राम जपते रहो,

मिट जायेंगे पाप।।

 

जन प्रियता की खोज में,

भटक रहे हैं लोग।

सिर्फ दिखावे के लिए,

रोज लगाए भोग।।

 

वादा तुमने जो किया,

लगी टकटकी द्वार।

सभी प्रतीक्षा रत यहां,

मानेंगे ना हार।।

 

पत्रों का हमने बहुत,

किया प्रेम व्यवहार।

जीवन में अब मिल रहा,

बस अपनों का प्यार।।

 

प्यार कहां अब दिख रहा,

दिखता है बस लोभ,

देखें ऐसा चेहरा,

छा जाता है शोभ।।

 

लोग स्वार्थी हो रहे,

नहीं समझते प्यार।

बात बात पर किया है,

बस केवल तकरार।

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
J p Kantharia

Jai ho….