श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है महिला दिवस पर सार्थक एवं भावप्रवण कविता “वो सुनती रही ”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 33 ☆
☆ महिला दिवस विशेष – वो सुनती रही ☆
बचपन से वो
दादा -दादी, नाना -नानी
माता-पिता की सुनती रही
स्कूल मे टीचर की सुनती रही
युवावस्था मे
सहेलियों की सुनती रही
यौवन की पहली सीढ़ी पर
जमाने की सुनती रही
विवाह के बाद
पति की सुनती रही
ससुराल मे सास-ससुर की
सुनती रही
बच्चे हुये तो
बच्चो की सुनती रही
बच्चो के विवाह के बाद
बेटे-बहू की सुनती रही
अब प्रोढ़ावस्था मे जब
उसने मुँह खोला
तर्क देकर मनका भेद बोला
तो घर हो या बाहर
सबने कहा –
वोतो सठीया गई है
उसमें तर्क संगत बात करने की
बुध्दि कहां रही है
उसका जीवन सुनते सुनते ही बीता है
ना जाने हर युग मे
क्यों वनवास मे सिर्फ सीता है ?
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈