श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, अतिरिक्त मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) में कार्यरत हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है।  उनका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी का एक  शोधपूर्ण आलेख ‘ हिंदी की समृद्धि में अभियंताओं का योगदान ’ इस सार्थकअतिसुन्दर कविता के लिए श्री विवेक रंजन जी की लेखनी को नमन। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 90 ☆

☆ आलेख – हिंदी की समृद्धि में अभियंताओं का योगदान  ☆

आज हिन्दी भाषी विश्व के हर हिस्से में प्रत्यक्षतः या परोक्ष रूप में कार्यरत हैं. इस तरह अब हिन्दी विश्व भाषा बन चुकी है. किसी भी भाषा की समृद्धि में उसका तकनीकी पक्ष तथा साहित्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है. कम्प्यूटर के प्रयोग हेतु यूनीकोड लिपि व विभिन्न साफ्टवेयर में हिन्दी के उपयोग हेतु अभियंताओ ने महत्वपूर्ण तकनीकी योगदान दिया है. हिन्दी के अन्य भाषाओ में ट्रांसलेशन, हिन्दी के सर्च एंजिन के विकास में भी अभियंताओ के ही माध्यम से हिन्दी दिन प्रतिदिन और भी समृद्ध हो रही है. तकनीक ने ही हिन्दी को कम्प्यूटर से जोड़ कर वैश्विक रूप से प्रतिष्ठित कर दिया है.

हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि में उन साहित्यकारो का भी अप्रतिम योगदान है, जो व्यवसायिक रुप से मूलतः अभियंता रहे हैं. यथार्थ यह है कि साहित्य सृजन वही कर सकता है जो स्व के साथ साथ समाज के प्रति संवेदनशील होता है, तथा जिसमें अपने अनुभवो को सरलीकृत कर अभिव्यक्त करने की भाषाई क्षमता होती है. अभियंता विभिन्न परियोजनाओ के सिलसिले में सुदूर अंचलो में जाते आते हैं. परियोजनाओ के निर्माण कार्य में उनका आमना सामना अनेकानेक परिस्थितियो से होता है, इस तरह अभियंताओ का परिवेश व अनुभव क्षेत्र बहुत व्यापक होता है. जिन भी अभियंताओ में साहित्यिक रूप से उनके व्यक्तिगत अनुभवो के लोकव्यापीकरण व विस्तार का कौशल होता है वे किसी न किसी विधा में स्वयं को सक्षम रूप से अभिव्यक्त कर लेते हैं. जब पाठको का सकारात्मक प्रतिसाद मिलता है तो वे नियमित साहित्यिकार के रूप में स्थापित होते जाते हैं. स्वयं अपनी बात करूं तो मुझे तो पारिवारिक विरासत में साहित्यिक परिवेश मिला पर एक अभियंता के रूप में मेरे बहुआयामी कार्यक्षेत्र ने मुझे लेखन हेतु अनेकानेक तकनीकी विषयों सहित विस्तृत अनुभव संसार दिया है.

यद्यपि रचना को लेखक की व्यवसायिक योग्यता की अलग अलग खिड़कियों से नहीं देखा जाना चाहिये. साहित्य रचनाकार की जाति, धर्म, देश, कार्य, आयु, से अप्रभावित, पाठक के मानस को अपनी शब्द संपदा से ही स्पर्श कर पाता है. रचनाकार जब कागज कलम के साथ होता है तब वह केवल अपने समय को अपने पाठको के लिये अभिव्यक्त कर रहा होता है. यद्यपि समीक्षक की अन्वेषी दृष्टि से देखा जाये तो हिन्दी साहित्य में अभियंताओ का योगदान बहुत व्यापक रहा है. मूलतः इंजीनियर रहे चंद्रसेन विराट ने हिन्दी गजल में ऊंचाईयां अर्जित की हैं.

इंजीनियर नरेश सक्सेना हिन्दी कविता का पहचाना हुआ नाम है. इन दिवंगत महान अभियंता साहित्यकारो के अतिरिक्त अनेकानेक वर्तमान में सक्रिय साहित्यकारो में भी अलग अलग विधाओ में कई अभियंता रचनाकार लगातार बड़े कार्य कर रहे हैं.

मुझे गर्व है कि इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स जबलपुर द्वारा आयोजित यह वेबीनार इस विषय पर देश में पहला शोध कार्य है. इस शोध में भी तकनीक ने ही मेरी मदद की है. फेसबुक तथा व्हाट्सअप पर जब मैने यह सूचना दी कि अभियंता साहित्यकारो पर शोध पत्र तैयार कर रहा हूं तो मुझे अनेकानेक साहित्यिक अभियंता व गैर अभियंता मित्रो ने इस शोध कार्य की बहुत सारी जानकारी उपलब्ध करवाई है. गूगल सर्च एंजिन की सहायता से भी मैने काफी सामग्री जुटाई है.

यद्यपि कोई भी लेखक किसी विधा विशेष में बंधकर नही रहता सभी अपनी मूल विधा के साथ ही कभी न कभी संस्मरण, कविता, कहानी, लेख, साक्षात्कार में रचना लिखते मिलते हैं. व्यंग्य आज सबसे अधिक लोक प्रिय विधा है, जिसमें इंजी हरि जोशी जो तकनीकी शिक्षा से जुड़े रहे हैं, इंजी अरुण अर्णव खरे जो म. प्र. शासन के पी एच ई विभाग में मुख्य अभियंता होकर सेवानिवृत हुये हैं, इंजी अनूप शुक्ल  जो भारत सरकार की आयुध निर्माणी शाहजहांपुर में महा प्रबंधक हैं,इंजी श्रवण कुमार उर्मलिया जो पावर फाइनेंस कार्पोरेशन से सेवानिवृत महा प्रबंधक हैं, बी एस एन एल से सेवानिवृत इंजी राकेश सोहम व्यंग्य के जाने पहचाने चेहरे बन चुके हैं. इंजी शशांक दुबे बैंक सेवाओ में हैं पर मूलतः सिविल इंजीनियर हैं व व्यंग्य के साथ अन्य विधाओ में लेखन कर रहे हैं. इंजी मृदुल कश्यप इंदौर, इंजी अवधेश कुमार गोहाटी में प्लांट इंजीनियर हैं व व्यंग्य लिखते हैं. इंजी देवेन्द्र भारद्वाज झांसी से हैं तथा व्यंग्य लेखन में सक्रिय हैं. इंजी ललित शौर्य भी व्यंग्य का जाना पहचाना युवा नाम है.आत्म प्रवंचना न माना जावे तो स्वयं मैं इंजी विवेक रंजन श्रीवास्तव लगभग २० किताबो के प्रकाशन के साथ राष्ट्रीय स्तर पर लेखकीय ख्याति व पाठको का स्नेह पात्र हूं, मेरी कविता की किताब आक्रोश १९९२ में तारसप्तक अर्धशती समारोह में विमोचित हुई थी, कौआ कान ले गया, रामभरोसे, मेरे प्रिय व्यंग्य, धन्नो बसंती और बसंत, बकवास काम की, जय हो भ्रष्टाचार की, खटर पटर, समस्या का पंजीकरण व अन्य व्यंग्य आदि मेरी व्यंग्य की पुस्तकें चर्चित हैं. बिजली का बदलता परिदृश्य तकनीकी लेखो की किताब है, नाटको पर भी मेरा बहुत कार्य है, साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश ने मेरी नाटक की किताब हिंदोस्तां हमारा को पुरस्कृत भी किया, मेरी संपादित अनेक किताबें व पत्रिकायें बहुचर्चित रहीं हैं, नियमित समीक्षा का कार्य भि मेरी अभिरुचि है. विदेशो में कार्यरत इंजीनियर्स भी हिन्दी में लेखन कार्य कर रहे हैं, आस्ट्रेलिया में कार्यरत इंजी संजय अग्निहोत्री ऐसा ही नाम है, वे भी व्यंग्य लिख रहे हैं.

उपन्यास में इंजी अमरेन्द्र नारायण महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं वे सरदार पटेल पर चर्चित उपन्यास लिख चुके हैं तथा टेलीकाम क्षेत्र के जाने माने इंजीनियर हैं जो भारत का प्रतिनिधित्व विश्व संस्थाओ में कर चुके हैं, वे एकता व शक्ति के संदेश को लेकर राष्ट्रीय भावधारा पर गहरा कार्य कर रहे हैं.

म. प्र. पी डब्लू डी से सेवानिवृत इंजी संजीव वर्मा ने, छंद शास्त्र तथा व्याकरण में खूब काम किया है,हमने साथ साथ दिव्य नर्मदा ई पोर्टल बनाया है. संजीव जी ने अनेक किताबों का संपादन किया है. संपादन के क्षेत्र में व व्यंग्य तथा विविध विषयो पर लेखन में नर्मदा वैली डेवेलेपमेंट अथारिटी से सेवानिवृत इंजी सुरेंद्र सिंह पवार राष्ट्रीय स्तर पर पहचान अर्जित कर चुके हैं वे नियमित पत्रिका साहित्य परिक्रमा का प्रकाशन कर रहे हैं, उनके तकनीकी लेख इंस्टीट्यूशन से पुरस्कृत हैं.

विद्युत मण्डल से सेवानिवृत इंजी प्रहलाद गुप्ता ने विशेष रूप से भगवान कृष्ण पर केंद्रित कलम चलाई है. सिंचाई विभाग से सेवानिवृत इंजी उदय भानु तिवारी तथा स्व इंजी गोपालकृष्ण चौरसिया मधुर, ने भी प्रचुर धार्मिक काव्य रचनायें की हैं. विद्युत ट्रांसमिशन कंपनी में सेवारत इंजी संतोष मिश्र ने भी धार्मिक विषयो पर लेखन किया है.

गीत लेखन में कई नाम सक्रिय हैं इंजी निशीथ पांडे छत्तीसगढ़ के सिंचाई विभाग से सेवानिवृत हैं, वे लिखते भी हैं और गाते भी हैं, इसी तरह बी एस एन एल से सेवानिवृत इंजी दुर्गेश व्यवहार भी काव्य लेखन तथा गायन में सुस्थापित हैं, उनके कई एलबम आ चुके हैं. भोपाल के इंजी अशेष श्रीवास्तव भी गायन व गीत लेखन पर काम कर रहे हैं वे पवन ऊर्जा के क्षेत्र में इंजीनियरिंग विशेषज्ञ हैं. इंजी राम रज फौजदार मूलतः सिविल इंजीनियर हैं पर उनकी गजल तथा रागों की समझ और अभिव्यक्ति उल्लेखनीय है.

इंजी बृजेश सिंग बिलासपुर, इंजी अमरनाथ अग्रवाल लखनऊ, इंजी मनोज मानव, इंजी कोमल चंद जैन विविध विषयी लेखन कर रहे हैं वे अपने सेवाकाल में अनेक देशो में कार्यरत रहे हैं व अब जबलपुर में रह रहे हैं. विद्युत मण्डल में सेवारत इंजी अशोक कुमार तिवारी ने तकनीकी साहित्य पर हिन्दी में भी काम किया है. इंजी प्रो संजय वर्मा ने तकनीकी विषयो पर हिन्दी में लेखन कार्य किया है. तकनीकी हिन्दी आलेखो के संपादन से बनी इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स की पत्रिका अभियंता बंधु के संपादन के लिये इंजी शिवानंद राय रांची, इंजी विभूति नारायण सिंग लखनऊ, तथा तकनीकी विषयो पर हिन्दी लेखन के लिये प्रो जगदीश कुमार गहलावतदिल्ली, इंजी मलविंद्र सिंह बी एच ई एल हरिद्वार, इंजी नरेंद्र कुमार झा बेंगलोर, इंजी कृष्ण बिहारी अग्रवाल बरेली उप्र, इंजी डा सुधीर कुमार कल्ला पूर्व निदेशक राजस्थान विद्युत उत्पादन इकाई, इंजी डा एस एन विजयवर्गीय जीनस पावर जयपुर आदि तकनीकी लेखक हैं जो यद्यपि नियमित हिन्दी लेखक तो नही हैं किन्तु उन्होने जो भी कार्य किया है वह महत्वपूर्ण है.

कविता बहु रचित विधा है. जबलपुर के इंजी गजेंद्र कर्ण व इंजी हेमंत जैन म. प्र.शासन सिंचाई विभाग में कार्यरत थे, तथा सक्रिय रचनाकार हैं. इंजी हेमन्त जैन डाक टिकटो का संग्रह भी करते हैं, उनका टिकिट संग्रह बहुत विशाल है. उनके ही हम नाम उ प्र सिंचाई विभाग में सेवारत इंजी हेमन्त कुमार ग्राम फीना बिजनोर तकनीकी विषयो पर हिन्दी में सतत लेखन के लिये सम्मानित हो चुके हैं. इंजी महेश ब्रम्हेते विद्युत वितरण के क्षेत्र से जुड़े हुये हैं, इंजी प्रो अनिल कोरी, विविध विषयो पर काव्य, व्यंग्य स्फुट लेखन करते दिखते हैं. विद्युत मण्डल से सेवानिवृत इंजी सुधीर पाण्डे, इंजीनियर रामप्रताप खरेवर्तमान में रायपुर में रह रहे हैं, इंजी देवेन्द्र गोंटीया देवराज, जबलपुर, इंजी कमल मोहन वर्मा, इंजी सुनील कोठारी, नरसिंहपुर, म प्र सिंचाई विभाग से सेवा पूरी करके इंजी संजीव अग्निहोत्री, मंडला,म प्र सिंचाई विभाग से ही सेवा निवृत इंजी दिव्य कांत मिश्रा, मण्डला, इंजी मदन श्रीवास्तव, जबलपुर का नाम भी उल्लेखनीय है. विद्युत मण्डल सारणी में कार्यरत इंजी अनूप कुमार त्रिपाठी ‘अनुपम’ का उपन्यास आस्था की अनुगूँज आ चुका है,उनका भक्ति-गीत संकलन अमृत की बूंदें भी प्रकाशित है. इंजी अश्विनी कुमार दुबे,जल संसाधन विभाग इंदौर में कार्यरत थे, उनकी व्यंग्य, कहानी की लगभग १० किताबें प्रकाशित हैं उनका विश्वश्वरैय्या जी की जीवनी पर उपन्यास स्वप्नदर्शी चर्चित रहा है. इंजी अवधेश दुबे ने रेवा तरंग पत्रिका के सम्पादन का कार्य किया. इंजी अनिल लखेरा सेवानिवृत इंजीनियर हैं वे बड़े चित्रकार हैं स्फुट काव्य लेखन भी करते हैं. इंजी शरद देवस्थले पेट्रोलियम कार्पोरेशन से सेवानिवृत हुये हैं वे समीक्षा का अच्छा कार्य करते दिखते हैं. दिल्ली के इंजी ओम प्रकाश यति गजलकार हैं वे उप्र शासन सिंचाई विभाग में कार्यरत रहे हैं. इंजी सुनील कुमार वाजपेयी लखनऊ में हैं वे उ प्र लोकनिर्माण विभाग में कार्यरत थे, गीत छंद, कहानी आदि विधाओ में उनकी कई पुस्तके आ चुकी हैं. भोपाल के इंजी विनोद कुमार जैन भी विविध विषयी लेखक हैं. इंजी बृंदावन राय सरल म प्र शासन पी एच ई विभाग में सहायक अभियंता थे, सागर में रह रहे हें, गजल, कविता व बाल साहित्य की उनकी ५ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं. इंजी आई ए खान पी डब्लू डी मण्डला से सेवानिवृत होकर मण्डला में ही रह रहे हैं, उनकी गजलो की पुस्तक प्रकाशित है, उन्होने हिन्दी साहित्य के अंग्रेजी अनुवाद के कार्य भी किये हैं, चंद्रसेन विराट की गजलों, मेरे पिता प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव की गजलों तथा मेरे व्यंग्य लेखों का अंग्रेजी अनुवाद उन्होंने किया है.इंजी कपिल चौबे सागर युवा साथी इंजी हैं तथा विविध विषयो पर कवितायें कर रहे हैं.इंजी धीरेंद्र प्रसाद सिंग, बिहार से हैं वे भी विविध आयामी लेखन कर रहे हैं.

महिला इंजीनियर लेखिकायें बहुत कम हैं. इंजी अनुव्रता श्रीवास्तव ने संस्मरण व तकनीकी विषयो पर हिन्दी में लेखन किया है उनकी संस्मरणात्मक उपन्यासिका भगत सिंग पुस्तकाकार आ चुकी है, वे दुबई में मैनेजमेंट क्षेत्र में सेवारत हैं. इंजी स्मिता माथुर यू ट्यूबर कवि हैं.इंजी. आशा शर्मा, राजस्थान विद्युत विभाग में बीकानेर में पदस्थ हैं,उनकी किताबें अनकहे स्वप्न कविता, उजले दिन मटमैली शामें-लघुकथा, अंकल प्याज -बाल कविता, तस्वीर का दूसरा रुख-कहानी, गज्जू की वापसी- बाल कहानी संग्रह, डस्टबिन में पेड़ -बाल कहानी संग्रह, मुफ्त की कीमत-लघुकथा प्रकाशित हो चुकी हैं. इंजी. अनघा जोगलेकर, गुड़गांव भी विविध विषयी लेखन कार्य में जुड़ी हुई हैं.

मूलतः इंजीनियर न होते हुये भी तकनीक से जुड़े बहुत सारे हस्ताक्षर हैं जिनका महत्वपूर्ण साहित्यिक योगदान है, डा प्रकाश खरे भारत मौसम विभाग से सेवानिवृत वैज्ञानिक हैं उनकी कवितायें व लेख चर्चित हैं, श्री हेमंत बावनकर बैंक से सेवानिवृत कम्प्यूटर विज्ञ हैं, वे ई अभिव्यक्ति साहित्यिक पोर्टल के निर्माता व संपादक हैं, शांति लाल जैन कम्प्यूटर विशेषज्ञ हैं वे व्यंग्य के जाने पहचाने सशक्त हस्ताक्षर हैं. श्री अजेय श्रीवास्तव व श्री बसंत शर्मा रेलवे में तकनीकी रूप से सेवारत हैं व साहित्य सृजन कर रहे हैं.

अभिव्यक्ति के स्वसंपादित माध्यम फेस बुक, ब्लाग तथा अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मस ने भी इंजीनियर्स को लेकक के रूप में स्थापित होने में मदद की है. इस आलेख में ही लगभग साठ नामों का उल्लेख यहां किया जा चुका है. इनमें से कई लेखको के कृतित्व पर विस्तार से लिखा जा सकता है, अनेको के विषय में गूगल सर्च से विकीपीडीया सहित कई पृष्ठ जानकारियां, किताबें व उनकी रचनायें सुलभ हैं, तो ढ़ेरो नाम ऐसे भी हैं जिनके विषय में उनसे संपर्क करके ही विवरण जुटाने होंगे. सम्मिलित अभियंता रचनाकारो के विस्तृत विवरण समाहित करना नियत शब्द व समय सीमा में संभव नही है. विशाल भव्य हिन्दी संसार में अनेकों अभियंता लगातार अपनी शब्द आहुतियां दे रहे हैं. इस आलेख को परिपूर्ण बनाने के लिये अभी बहुत सारे नाम जोड़े जाने शेष हैं, जो आप सबके सहयोग से ही संभव हो सकता है, अतः आपके सुझाव व सहयोग की आकांक्षा है।

 

© विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर

ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

मो ७०००३७५७९८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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