प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
( आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी की दीपावली पर्व पर एक विशेष कविता लक्ष्मी स्तवन। हमारे प्रबुद्ध पाठक गण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 15 ☆
☆ लक्ष्मी स्तवन ☆
कल्याण दायिनी, धनप्रदे, माँ लक्ष्मी कमलासने
संसार को सुखप्रद बनाया, है तुम्हारे वास ने
चलती नहीं माँ जिंदगी, संसार में धन के बिना
जैसे कि आत्मा अमर होते हुये भी, तन कर बिना
निर्धन को भी निर्भय किया, माँ तुम्ही के प्रकाश ने
हर एक मन में है तुम्हारी, कृपा की मधु कामना
आशा लिये कर सक रहा, कठिनाईयों का सामना
जग को दिया आलोक हरदम, तुम्हारे विश्वास ने
संगीत सा आनन्द है, धन की मधुर खनकार में
संसार का व्यवहार सब , केंन्द्रित धन के प्यार में
सबके खुले हैं द्वार स्वागत में, तुम्हें सन्मानने
मन सदा करता रहा, मन से तुम्हारी साधना
सजी है पूजा की थाली , करने तेरी आराधना
माँ जगह हमको भी दो,अपने चरण के पास में
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈