डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं  एक विचारणीय कविता  “संकल्प । ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 53 – साहित्य निकुंज ☆

☆ संकल्प  ☆

दोहा – 

कोरोना के काल में, बढ़ी पेट की आग।

कोई नहीं है सुन रहा, भूखों का यह राग।।

 

संकल्प –

 

करो दृढ़ संकल्प

नहीं दूसरा विकल्प

मिलजुलकर सब साथ रहो

एक दूसरे से कुछ न कहो।

कोरोना  का छाया आतंक

करना होगा मिलजुलकर अंत

जैसे

देश की रक्षा के लिए

वीरों ने उठाई तलवार

सहे अनेकों वार

राष्ट्र की अनेकता में एकता

रखी बरकरार।

देश पर आए अनेकों संकट

उखाड़ फेंके अनेकों कंटक

हमें अब नहीं है डरना

कोरोना को पड़ेगा हारना

मिलकर हम सबको उसे मारना।।

यह महामारी

नहीं होगी हम पर भारी।

इरादे रखो मजबूत

करते रहो

प्रभु का स्मरण

करो न उन्हें विस्मरण

हमें

घर से करना सामना

पैर घर में  ही थामना।।

करना है संकल्प

नहीं दूसरा कोई विकल्प।।

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

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Shyam Khaparde

अच्छी रचना