श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’  

श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’ जी  एक आदर्श शिक्षिका के साथ ही साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, नवगीत, कहानी, कविता, बालगीत, बाल कहानियाँ, हायकू,  हास्य-व्यंग्य, बुन्देली गीत कविता, लोक गीत आदि की सशक्त हस्ताक्षर हैं। विभिन्न पुरस्कारों / सम्मानों से पुरस्कृत एवं अलंकृत हैं तथा आपकी रचनाएँ आकाशवाणी जबलपुर से प्रसारित होती रहती हैं। आज प्रस्तुत है  एक भावप्रवण कविता  “संस्कार।)

☆ साप्ताहक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य  # 10 ☆

☆ संस्कार ☆

 

कल जहाँ   से   चली   थी   वहाँ  आई  है

उसकी  किस्मत  कहाँ   से  कहाँ  लाई  है

 

ये    जरूरी   नहीं     रक्त   संबंधी   हों

जो   हिफाजत   करे  वो  मिरा  भाई  है

 

कैसी  बेसुध  हुई   आज   तरुणाईयाँ

देख  लज्जा  जिन्हें आज  सकुचाई है

 

जिसके कंधों पे है भार दुनिया का वो

हाँ वो  पीढ़ी  स्वयं  आज  अलसाई है

 

अब  हे  ईश्वर   बचा   संस्कारों को  तू

वरना निश्चित प्रलय की ही अगुआई है

 

© श्रीमती कृष्णा राजपूत  ‘भूमि ‘

अग्रवाल कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर -482002 मध्यप्रदेश

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