विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं । आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है  श्री लालित्य ललित जी के व्यंग्य संग्रह  “पांडेय जी और जिंदगीनामा” पर श्री विवेक जी की पुस्तक चर्चा.   श्री विवेक जी ने पुस्तक की बेबाक आलोचनात्मक समीक्षा लिखी है।  श्री विवेक जी  का ह्रदय से आभार जो वे प्रति सप्ताह एक उत्कृष्ट एवं प्रसिद्ध पुस्तक की चर्चा  कर हमें पढ़ने हेतु प्रेरित करते हैं। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 22☆ 

☆ पुस्तक चर्चा – व्यंग्य संग्रह  –  पांडेय जी और जिंदगीनामा

पुस्तक –पांडेय जी और जिंदगीनामा

लेखिका – श्री लालित्य ललित

प्रकाशक – भावना प्रकाशन नई दिल्ली

आई एस बी एन – ९७८९३८३६२५५३६

मूल्य –  220 रु  प्रथम संस्करण  2019

☆ व्यंग्य संग्रह  – पांडेय जी और जिंदगीनामा – श्री लालित्य ललित –  चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव

मूलतः पांडेय जी की आपबीती, जगबीती पर केंद्रित कुछ कुछ निबंध टाईप के संस्मरण हैं। “पांडेय जी और जिंदगीनामा” में, जिनमें बीच बीच में कुछ व्यंग्य के पंच मिलते हैं।

लालित्य जी पहले कवि के रूप में ३५ पुस्तको के माध्यम से साहित्य जगत में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं. फिर व्यंग्य की मांग और परिवेश के प्रभाव में वे धुंआधार व्यंग्य लेखन करते सोशल मीडीया से लेकर पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं. इसी वर्ष उनकी १८ व्यंग्य की पुस्तकें छपीं. यह तथ्य प्रकाशको से उनके संबंध रेखांकित करता है. जब बिना ब्रेक इतना सारा लेखन हो तो सब स्तरीय ही हो यह संभव नही. चूंकि पुस्तक  को व्यंग्य संग्रह के रूप में प्रस्तुत किया गया है, मुझे लगता है  पाठक,आलोचक, साहित्य जगत समय के साथ व्यंग्य की कसौटी पर स्वयं ही सार गर्भित स्वीकार कर लेगें या अस्वीकार करेंगे. मैंने जो पाया वह यह कि  २९ लम्बे संस्मरण नुमा लेखो का संग्रह है पांडेय जी और जिंदगीनामा. लेखों की भाषा प्रवाहमान है जैसे आंखों देखा रिपोर्ताज हो रोजमर्रा का पाण्डेय जी का सह-पात्रो के साथ वर्णन की यह शैली ही लालित्य जी की मौलिकता है.

चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर

Please share your Post !

Shares
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments