श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

( ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ जी द्वारा “व्यंग्य से सीखें और सिखाएं” शीर्षक से साप्ताहिक स्तम्भ प्रारम्भ करने के लिए हार्दिक आभार। आप अविचल प्रभा मासिक ई पत्रिका की प्रधान सम्पादक हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित हैं तथा कई पुरस्कारों / अलंकरणों से पुरस्कृत / अलंकृत हैं।  आपके साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं  में आज प्रस्तुत है एक विचारणीय एवं प्रेरणास्पद रचना “परीक्षा की घड़ी ।  वास्तव में श्रीमती छाया सक्सेना जी की प्रत्येक रचना कोई न कोई सीख अवश्य देती है।  समाज में कुछ प्रतिशत लोग समय की गंभीरता को क्यों नहीं समझ रहे हैं? यह प्रश्न अपने आप में गंभीर है। श्रीमती छाया जी न केवल प्रश्न उठाती हैं अपितु, उनका सकारात्मक निदान भी साझा करती हैं।  इस समसामयिक सार्थक रचना के लिए  श्रीमती छाया सक्सेना जी की लेखनी को सादर नमन ।

आप प्रत्येक गुरुवार को श्रीमती छाया सक्सेना जी की रचना को आत्मसात कर सकेंगे। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएँ # 22 ☆

☆ परीक्षा की घड़ी 

अचानक क्या से क्या हो सकता है;  ये तो हम सभी देख ही रहे हैं ।  इस अवधि में सभी ने अपने – अपने स्तरों पर स्वयं का अवलोकन कर अपने में सकारात्मक सुधार किए हैं । जहाँ एक ओर कुशल शिक्षक बच्चों को पढ़ाता है, तो दूसरी ओर एक गुरु अपने सभी शिष्यों को शिक्षित करता है,   और तीसरी ओर प्रकृति जब कोई पाठ पढ़ाती है,  तो परिणाम सबके अलग-अलग आते हैं ।

कारण साफ है कि सीखने वाला जिस भाव के साथ सीखेगा उसको उतना ही समझ में आयेगा । लगभग 70 दिनों से अधिक लॉक डाउन में रहने के बाद भी लोग आज भी वही गलतियाँ कर रहे हैं । ऐसा लगता है कि अनलॉक -1,  4 – 4 लॉक पर भारी पड़ रहा है। जैसे पंछी मौका पाते ही फुर्र से उड़ जाता है वैसे ही अधिकांश लोग बिना कार्य ही घूमने निकल पड़े हैं। सोशल डिस्टेंस तो मानो बीते युग की बात हो, मास्क के नाम पर कुछ भी लपेटा और चल दिये।

चारों ओर फिर से मरीज दिखने लगे, अब तो डॉक्टर ये भी नहीं पता लगा पा रहे कि ये रोग रोगियों को कैसे लगा। रोगों के लक्षण भी नहीं दिख रहे। पर कहते हैं न कि  सच्ची शिक्षा कभी व्यर्थ नहीं जाती तो कुछ लोगों ने ये ठान लिया है कि इससे निजात पाना ही है। सो अच्छाई ने पंख धारण कर उड़ान भरना शुरू कर दिया है। अब लोग न केवल खुद जागरुक हो रहे हैं वरन जो लापरवाही करते दिख रहा है उसे भी टोकते हैं। जिस प्रकार एक मॉनिटर पूरे क्लास को संभाल लेता है वैसे ही सच्चे नागरिक को स्वयं जिम्मेदार नागरिक का फर्ज निभाते हुए  सारे सुरक्षा  नियमों का पालन करना व करवाना चाहिए।

 

© श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

माँ नर्मदे नगर, म.न. -12, फेज- 1, बिलहरी, जबलपुर ( म. प्र.) 482020

मो. 7024285788, [email protected]

image_print
5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments