श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी समसामयिक घटना पर आधारित एक भावप्रवण कविता “# नवरात्रि  #”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 153 ☆

☆ # नवरात्रि  #

नवरात्रि के नौ दिन माता

तेरा भक्त जस गीत है गाता

उसकी कर दे कामना पूरी

उससे तो है जनम-जनम का नाता

 

जग में कितनी उथल-पुथल है

भोले चेहरे पर कितना छल है

कौन करे न्याय की बातें

चौराहे पर हो रही दंगल है

 

हर व्यक्ति में तैश है

हर घड़ी बदल रहा वो भेष है

किसको पड़ी दूसरों की यहां पर

जिसकी लाठी उसकी भैंस है

 

चारों तरफ है काले साये

उजाला कैसे छनकर आये

सूरज को भी ग्रहण लग गया

किरणें कैसे जमीं पर आये

 

दुष्ट शक्तियों पर उभार है

त्राहि त्राहि यह संसार है

राह तक रही व्याकुल आंखें

तुम कब आओगी इंतजार है

 

निर्बल, निर्धन को शक्ति दे दे

अपने उपासक को भक्ति दे दे

विनाश कर दे इन असुरों का

हे चामुंडे माता, मुक्ति दे दे /

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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