श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 88 ☆

☆ मुक्तक ☆ ।।कर्म पूजा, कर्म ऊर्जा, कर्म ही सफलता का मन्त्र है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

घना कोहरा आगे अंधेरा नज़र कुछ आता न हो।

हो अवसाद व  तनाव  और  कुछ भाता न हो।।

पर मत सोचना फिर भी कोई नकारात्मक विचार।

जो सकारात्मक ऊर्जा को जीवन में लाता न हो।।

[2]

आपकी सोच विचार ऊर्जा जीत आधार  बनती है।

आपकी उचित जीवन शैली  कारगार बनती है।।

कर्म ही  पूजा  कर्म ही  मन्त्र है सफलता का।

उत्साह से ही जाकर जिंदगी शानदार बनती है।।

[3]

संकल्प, दृढ़ दृष्टिकोण हों जीवन के प्रमुख अंग।

अनुशासन  हीनता हो तो लग जाती है जंग।।

सतत कोशिश और बार बार का करना अभ्यास।

निरंतर प्रयास हो और कभी ध्यान नहीं हो भंग।।

[4]

जीवन एक कर्मशाला जग ये ऐशो आराम नहीं है।

है यह संघर्ष तपोवन कोई घृणा का मैदान नहीं है।।

मत पलायन से बदनाम कर इस अनमोल जीवन को।

बिना पूरे किये फर्ज जीवन के उतरते एहसान नहीं है।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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