श्री राकेश कुमार

(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ  की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” ज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)

☆ आलेख # 72 ☆ देश-परदेश – लीप वर्ष ☆ श्री राकेश कुमार ☆

प्रत्येक चार वर्ष के पश्चात लीप वर्ष याने वर्ष का सबसे छोटा माह फरवरी भी थोड़ा सा बड़ा हो जाता हैं।

कुछ दिन पूर्व एक पेंशनर साथी ने फोन कर जानकारी मांगी थी, क्या फरवरी की पेंशन दो/ तीन जल्दी याने कि हर माह साताईस को मिलती है, तो क्या इस बार पच्चीस तारीख को मिलेगी ना। उनके तर्क में दम हैं।

मन में विचार आया कि जो दिहाड़ी/ दैनिक वेतन पर भुगतान प्राप्त करते हैं, उनका तो इस माह नुकसान रहेगा।

पेपर में उपभोक्ता सामान पर लीप डिस्काउंट भी आरंभ हो गया हैं। रेडीमेड शर्ट विक्रेता एक के साथ तीन शर्ट और खरीदने पर छूट के लुभाने ऑफर दे रहें हैं।

होटल वाले भी आपके लिए ” लीप की शाम” का ऐलान करने लगे हैं। पैसा फैंक तमाशा देख।

आज एक मित्र का मैसेज आया कि उन्नतीस को क्या कार्यक्रम हैं। हमने कहा कुछ नहीं घर पर ही रहेंगे, आ जाओ। मित्र बोला इस बार की उन्नतीस कुछ खास है, चार वर्ष के बाद फरवरी में ये तारीख़ आती है। सर्दी भी वापस हो रही है, कहीं आस पास सब मित्र भ्रमण हेतु चलते हैं। मज़ाक में बोला क्या पता हम लोग की ये आखरी उन्नतीस फरवरी हो।

हमारे ये मित्र भी जिंदादिल है, मौका ढूंढते रहते है, सब को साथ मिल कर कुछ नया करने का कार्यक्रम जमा देते हैं।

आपने, अपने मित्र/ परिवार के साथ कोई कार्यक्रम बनाया या  नहीं ? हमारा काम तो, था आपको आगाह करने का, आगे आपकी मर्जी।

© श्री राकेश कुमार

संपर्क – B 508 शिवज्ञान एनक्लेव, निर्माण नगर AB ब्लॉक, जयपुर-302 019 (राजस्थान)

मोबाईल 9920832096

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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