श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 114 – मनोज के दोहे… 

रामलला की आरती,  करता भारत वर्ष।

मंदिर फिर से सज गया,  जन मानस में हर्ष।।

*

मन मंदिर में रम गए,  श्याम वर्ण श्री राम।

शायद कारागार से,  मुक्त दिखें घन श्याम।।

*

प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम,  बना अयोध्या धाम।

सूर्यवंश के मणि मुकुट,  रघुनंदन श्री राम।।

*

आल्हादित सरयू नदी,  लौटा स्वर्णिमकाल।

सजा अयोध्या नगर है,  उन्नत संस्कृति भाल।।

*

हर्षोल्लास का पल अब,  लाया है चौबीस।

देश तरक्की कर रहा,  मिले कौशलाधीश।।

*

धनुषबाण लेकर चले,  निर्भय सीता-राम।

सरयू तट पर सज गया,  राम अयोध्या धाम।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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