श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण रचना  “जीवन का लेखा-जोखा है…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 110 – जीवन का लेखा-जोखा है ☆

जीवन का लेखा-जोखा है।

जिन्दा रहे तभी चोखा है।।

सही राह पर जब हम चलते,

सच्ची दौलत का खोखा है।।

गीता में उपदेश लिखा सुन,

रिश्ते-नाते सब धोखा है।

जब-जब श्रम सम्मानित होता,

बहे-पसीने को सोखा है।

जीवन-धन सबने है पाया,

सबका  भाग्य  अनोखा है।

तन का मकाँ बनाया उसने,

इन्द्रियाँ-आँख झरोखा है।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments