श्री राकेश कुमार

(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ  की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” ज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)

☆ आलेख # 54 ☆ देश-परदेश – Hygiene ☆ श्री राकेश कुमार ☆

इस शब्द का दो वर्ष पूर्व ही कोविड काल में ज्ञान प्राप्त हुआ था। हमारे देश की जनता तो कचरे और गंदगी के बीच से भी अपना रास्ता निकाल लेती हैं।

स्वच्छ स्थान पर, हाथ और पैर धो कर भोजन करना हमारी दैनिक जीवन का एक अहम भाग है। ये तो जल्द भोजन (फास्ट फूड) के चक्कर में हम सड़कों पर खुले में अधिक से अधिक खाद्य सामग्री अपनी जिव्हा को भेंट करने लग गए हैं।

आज उपरोक्त विज्ञापन पर दृष्टि पड़ी तो कुछ अजीब सा प्रतीत हुआ। चौपहिया वाहन “कार” की भी बिन जल सफाई हो सकती है, और कार भी हाइजेनिक हो सकती है। कितनी भी महंगी कार हो, उसको गंदगी और कीचड़ से भरी सड़कों से ही अपना मार्ग बनाना पड़ता है।

कार की सफाई के भी प्लान आ गए हैं। हो सकता है कार के अगले भाग और पिछवाड़े या साइड की सफाई के अलग अलग प्लान भी हो सकते हैं।    

हमारे मोहल्ले में तो लोग मोटे पाइप से लगातार पानी की धार से कार की धुलाई करते हुए कई लीटर पानी बहा देते हैं। पानी का कोई शुल्क जो नहीं लगता। “जल ही जीवन है” के सिद्धांत की धज्जियां उड़ा देते हैं, ऐसे लोग।

आज एक मित्र से भी इस विज्ञापन के संदर्भ में चर्चा हुई, तो वो तुरंत बोला की चुंकि ये विज्ञापन जयपुर शहर का है, वहां जल की कमी होती है, इसलिए जल की बर्बादी रोकने के लिए बिना जल के कार की सफाई को प्राथमिकता दी जा रही है। यह सब के लिए ये एक अच्छा संदेश हो सकता हैं।

© श्री राकेश कुमार

संपर्क – B 508 शिवज्ञान एनक्लेव, निर्माण नगर AB ब्लॉक, जयपुर-302 019 (राजस्थान) 

मोबाईल 9920832096

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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