श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी समसामयिक घटना पर आधारित एक भावप्रवण कविता “# आजादी की पावन बेला में… #”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 145 ☆

☆ # तुम जब मिलने आओगी#

तुम जब मिलने आओगी

वो पल कितना पावन होगा

मुस्कुराती हुई कलियां होगी

झूमता हुआ सावन होगा

 

भीगा हुआ तन होगा

पुलकित कितना मन होगा

हर तरफ बजेगी शहनाई

मिलन की हो घड़ी आई

कोयल गीत सुनाएगी

जब तुम बाग में आओगी

रिमझिम-रिमझिम फुहारों से

तर-बतर चमन होगा

जब तुम मिलने आओगी

झूमता हुआ सावन होगा

 

फूलों के झूले होंगे

सुध-बुध सब भूले होंगे

तरूणाई झूल रही होगी

मदिरा बूंदों में घुल रही होगी

मतवाले भ्रमर घूम रहे होंगे

कलियों को चूम रहे होंगे

ऐसे मादक मौसम में

कितना मदमस्त पवन होगा

जब तुम मिलने आओगी

झूमता हुआ सावन होगा

 

तुम्हारे पग की आहट सुनकर

तुम्हारे पथ के कांटे चुनकर

राह में कलियां बिछी होंगी

प्रेम रस से सिंची होंगी

तुम्हारा दमकता हुआ रूप

जैसे बादलों से झांकती धूप

सावन में आग लगाता हुआ

बेजोड़ तुम्हारा यौवन होगा

तुम जब मिलने आओगी

झूमता हुआ सावन होगा

 

जब तुम आओगी तो

सावन की घटा बन छाओगी तो

बिजलियां जोर से कड़केगी

बूंदें बारिश बन बरसेगी

काया से मिलेगी जब काया

लगेगा स्वर्ग जमीं पर है आया

यह सावन वहीं रूक जायेगा

जब आगोश में बदन होगा

तुम जब मिलने आओगी

झूमता हुआ सावन होगा/

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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