श्री एस के कपूर “श्री हंस”

(बहुमुखी प्रतिभा के धनी  श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं।  आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।। कोशिश करो कि जिंदगी पहेली नहीं कि सहेली बन जाये।।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 57 ☆

☆ मुक्तक  ☆ ।। कोशिश करो कि जिंदगी पहेली नहीं कि सहेली बन जाये ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

कोशिश करो कि जिंदगी तुम्हारी चेली बन जाये।

मत उलझाओ इतना जिंदगी पहेली बन जाये।।

कदम से कदम मिला कर चलो वक़्त के साथ।

यही चाहो कि जिंदगी तुम्हारी सहेली बन जाये।।

[2]

दर्दऔर गम में भी जरा मुस्कराना  सीख लो।

बांट कर खुशी किसी को हंसाना सीख लो।।

जन्नत खुद उतर कर आ जायेगी जमीन पर।

बस जरा प्यार से गले   लगाना सीख लो।।

[3]

पीछे देखना नहीं आगे की रवानी है जिंदगी।

हर दिन इक नई सी कोई कहानी है जिंदगी।।

जोशो  जनून जज्बा कभी कम न होने पाए।

जी कर जरा देखो जीने को दीवानी है जिंदगी।।

[4]

प्रभु की दी हुई नियामत मेहरबानी है जिंदगी।

बहुत कुछ सीखा दे इतनी सयानी है जिंदगी।।

हर रोज़ बेहतर से भी बेहतर बनायो इसको।

इस एक उम्र में सारी   समानी है जिंदगी।।

[5]

जिंदगी कोई सवाल  नहीं जवाब है जिंदगी।

गर बनायो तो कोई सुनहरा ख्वाब हैं जिंदगी।।

हज़ारों रंग समेटे है जिंदगी अपनी कहानी में।

कुछ और नहीं बस बहुत लाजवाब है जिंदगी।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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