श्री एस के कपूर “श्री हंस”

(बहुमुखी प्रतिभा के धनी  श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं।  आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।हमें बहुत गुमान है, कि हमारी मातृभूमि हिंदुस्तान है।।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 52 ☆

☆ मुक्तक  ☆ ।।हमें बहुत गुमान है, कि हमारी मातृभूमि हिंदुस्तान है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

हमें    इस बात  का    बहुत गुमान है।

कि हमारी   मातृ भूमि    हिंदुस्तान  है।।

सूर्य सा आलोकित  है  सारे  संसार में।

विश्व   गुरू भारत  वास्तव में महान है।।

[2]

शांति मसीहा है भारत सारे जहान का।

बस ध्यान रहे भारत मां मानसम्मान का।

हर दिल में इक हिंदुस्तान बसना चाहिए।

प्रश्न है करोड़ों  जन के   स्वाभिमान का।।

[3]

इस वतन ने इंकलाब से आजादी पाई है।

शहीदों ने मर मिट कर  तस्वीर बनाई है।।

आंच न आने देगें इस बलिदानी धरती पर।

हर बाजू बनेगा तलवार आंख गर उठाई है।।

[4]

ये भाग्य राम कृष्ण की धरा पर जन्म पाया है।

इस देश ने रामायण  गीता संदेश सुनाया है।।

यह धरती है  विविधता में एकता का संगम।

पूरे विश्व वसुधैव कुटुंबकम् पाठ पढ़ाया है।।

[5]

इस गुलशन का पत्ता पत्ता जार न होने देना।

अमर शहीदों कीअमानत बेकार न होने देना।।

अभी तो आगाज हुआ मंजिल दूर बाकी है।

भारतमाता कीअस्मत कभी बेजार न होने देना।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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