डॉ.  सलमा जमाल 

(डा. सलमा जमाल जी का ई-अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। रानी दुर्गावती विश्विद्यालय जबलपुर से  एम. ए. (हिन्दी, इतिहास, समाज शास्त्र), बी.एड., पी एच डी (मानद), डी लिट (मानद), एल. एल.बी. की शिक्षा प्राप्त ।  15 वर्षों का शिक्षण कार्य का अनुभव  एवं विगत 25 वर्षों से समाज सेवारत ।आकाशवाणी छतरपुर/जबलपुर एवं दूरदर्शन भोपाल में काव्यांजलि में लगभग प्रतिवर्ष रचनाओं का प्रसारण। कवि सम्मेलनों, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं में सक्रिय भागीदारी । विभिन्न पत्र पत्रिकाओं जिनमें भारत सरकार की पत्रिका “पर्यावरण” दिल्ली प्रमुख हैं में रचनाएँ सतत प्रकाशित।अब तक 125 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार/अलंकरण। वर्तमान में अध्यक्ष, अखिल भारतीय हिंदी सेवा समिति, पाँच संस्थाओं की संरक्षिका एवं विभिन्न संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन।

आपके द्वारा रचित अमृत का सागर (गीता-चिन्तन) और बुन्देली हनुमान चालीसा (आल्हा शैली) हमारी साँझा विरासत के प्रतीक है।

आप प्रत्येक बुधवार को आपका साप्ताहिक स्तम्भ  ‘सलमा की कलम से’ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण गीत “मातृभूमि…”।

✒️ साप्ताहिक स्तम्भ – सलमा की कलम से # 52 ✒️

?  गणतंत्र दिवस विशेष ☆ गीत – मातृभूमि…  ✒️  डॉ. सलमा जमाल ?

हे मातृभूमि तेरा वंदन

करते हैं हम।

अंजुरी में अर्ध्य लेकर

अर्चन करते हैं हम।।

 

फ़िरते हैं वेश बदले

चहूं ओर भेड़िऐ ,

अपनों की भीड़ में हैं

असंख्य भेदिऐ ,

साग़र की भांति उन पे

गर्जन करते हैं हम ।

हे मातृभूमि ——– ।।

 

हैं रिश्वती हवाएं

आतंक की बदलियां,

कोहरा है भ्रष्टाचार का

स्वार्थ की बिजलियां ,

फ़िर से नूतन गगन का

सृजन करेंगे हम ।

हे मातृभूमि ——– ।।

 

कुछ तो शरम करो ऐ

ग़द्दार – ए – वतन ,

अपने ही मृत भाई का

खींचो न तुम कफ़न ,

फ़िर से एक बनेंगे

संकल्प ले – लें हम ।

हे मातृभूमि ——– ।।

 

किस वास्ते किया है

आत्मा का हनन ,

संकीर्ण सांप्रदायिकता को

कर दें हम दफ़न ,

हैवानियत को छोड़कर

इन्सां बन जाए हम ।

हे मातृभूमि ——– ।।

 

फ़िर ना उठाएगा कोई

हम पर उंगलियां ,

नई आन – बान होगी

ना उजड़ेगीं बस्तियां ,

दुआ मांगती है सलमा

भारत में हो अमन ।

हे मातृभूमि ——– ।।

© डा. सलमा जमाल

298, प्रगति नगर, तिलहरी, चौथा मील, मंडला रोड, पोस्ट बिलहरी, जबलपुर 482020
email – [email protected]

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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डॉ भावना शुक्ल

बेहतरीन अभिव्यक्ति