श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे… । आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 61 – मनोज के दोहे… 

1 अंत

अंत भला तो सब भला, सुखमय आती नींद।

शुभारंभ कर ध्यान से, सफल रहे उम्मीद ।।

2 अनंत

श्रम अनंत आकाश है, उड़ने भर की देर।

जिसने पर फैला रखे, वही समय का शेर।।

3 आकाश

पक्षी उड़ें आकाश में, नापें सकल जहान।

मानव अब पीछे नहीं, भरने लगा उड़ान।।

4 अवनि

अवनि प्रकृति अंबर मिला, प्रभु का आशीर्वाद।

धर्म समझ कर कर्म कर, मत चिंता को लाद।।

5 अचल

अचल रही है यह धरा, आते जाते लोग।

अर्थी पर सब लेटते, सिर्फ करें उपभोग।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)-  482002

मो  94258 62550

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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