आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी द्वारा रचित  ‘सॉनेट गीत – वसुंधरा।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 82 ☆ 

☆ सॉनेट गीत – वसुंधरा ☆

(विधा- अंग्रेजी छंद, शेक्सपीरियन सॉनेट)

हम सबकी माँ वसुंधरा।

हमें गोद में सदा धरा।।

 

हम वसुधा की संतानें।

सब सहचर समान जानें।

उत्तम होना हम ठानें।।

हम हैं सद्गुण की खानें।।

 

हममें बुद्धि परा-अपरा।

हम सबकी माँ वसुंधरा।।

 

अनिल अनल नभ सलिल हमीं।

शशि-रवि तारक वृंद हमीं।

हम दर्शन, विज्ञान हमीं।।

आत्म हमीं, परमात्म हमीं।।

 

वैदिक ज्ञान यहीं उतरा।

हम सबकी माँ वसुंधरा।।

 

कल से कल की कथा कहें।

कलकल कर सब सदा बहें।

कलरव कर-सुन सभी सकें।।

कल की कल हम सतत बनें।।

 

हर जड़ चेतन हो सँवरा।

हम सब की माँ वसुंधरा।।

 

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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