डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं  “भावना के दोहे। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 119 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे ☆

तुझसे अब कहते बना, होती जब है शाम।

प्यारा सा अहसास है, लेना तेरा नाम।।

 

खोज बहुत की सत्य की, करते रहे प्रचार।

संत कबीर ने कर दिया, धर्म पर ही प्रहार।

 

तेरी अपनी सोच है, मेरी अपनी सोच।

सोच सोच कर बोलना, लगे न दिल पर मोच।।

 

कविता में ही रच दिया, तूने सब संसार।

शब्द शब्द से झलकता, तेरा प्यार अपार।।

 

उनकी वाणी कह रही, मीठा मीठा बोल।

 सबकी वाणी हो मधुर, यह जीवन का मोल।।

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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