श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# मकर संक्रांति #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 63 ☆

☆ # मकर संक्रांति # ☆ 

 

उत्तरायण की हुई शुरुआत

लंबा दिन और छोटी रात

ठंड घटने लगेगी अब

आई, आई मकर संक्रांत

 

सुर्य को अर्ध्य देना है

उसका ताप लेना है

नमन कर उसके प्रताप को

उसका कृतज्ञ होना है

 

भिन्न भिन्न फलों को छांटेंगे  

तिल, गुड़, फल बांटेंगे

पतंग उड़ायेंगे आकाश में

दूसरी पतंगों को मांझें से काटेंगे

 

यह है एक प्राचीन परंपरा

खुश है आज यह धरा

चहुं और है आनंद ही आनंद

घर घर है खुशियों से भरा

 

आओ कटुता को भुलाएं 

दान बांटकर खुशियां पायें

पतंग की तरह उड़े आकाश में

मकर संक्रांति का यह पर्व मनायें

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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