डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं   “भावना के दोहे। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 96 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे ☆

बिजली

कड़क कड़क कर चमकती, बिजली चारों ओर।

आसमान में छा रही, उड़े घटा घनघोर।।

 

बदरी

बदरी घन पर छा गई, मंगल है हर ओर

गरजे घन वर्षा हुई, नाच रहे है मोर।।

 

मेघ

मेघ गरजते दे रहे, प्यारा सा संदेश।

देखो साजन आ रहे, वापस अपने देश।।

 

चौमास

चौमासे की धूम है, हर दिन है त्यौहार।

संग सखी, भाई बहन, मिले पिया का प्यार।।

 

ताल

तपन बहुत ही बढ़ गई, सूखे नदिया ताल

वर्षा जाने कहां गई, बुरा फसल का  हाल।।

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Kamna

शानदार दोहे