श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, अतिरिक्त मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) में कार्यरत हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है।  उनका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी की  एक भावप्रवण कविता – सब याद है।  इस भावप्रवण रचना के लिए श्री विवेक रंजन जी की लेखनी को नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 105☆

?  सब याद है  ?

 

प्रथम पूज्य गणेश

एक  गिनती की शुरुवात

अ पहला अक्षर

सब याद है

 

पहली फिल्म जो देखी थी थियेटर में

होश में किया पहला सफर

साइकिल पर वह पहली सवारी

सब याद है

 

वह पहली रात जब

घर से दूर

होस्टल में गया था पढ़ने

पहली नौकरी

पहली तनख्वाह

वो पहली हवाई यात्रा

सब याद है

 

वह सिहरन

जब तुम्हें छुआ था पहली बार

वह पहला चुम्बन

उन्माद

भूलता कहां है

पहला प्यार

सब याद है

 

© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

मो ७०००३७५७९८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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अमरेन्द्र नारायण

स्कूल की पहली पिटाई याद है विवेक भाई?

Shyam Khaparde

बहुत ही शानदार अभिव्यक्ति