श्री आशीष कुमार

 

(युवा साहित्यकार श्री आशीष कुमार ने जीवन में  साहित्यिक यात्रा के साथ एक लंबी रहस्यमयी यात्रा तय की है। उन्होंने भारतीय दर्शन से परे हिंदू दर्शन, विज्ञान और भौतिक क्षेत्रों से परे सफलता की खोज और उस पर गहन शोध किया है। आज प्रस्तुत है उनका आलेख  “नवरात्रि  – एक तथ्यात्मक विवेचना”।  यह आलेख उनकी पुस्तक  पूर्ण विनाशक  का एक महत्वपूर्ण  अंश है। इस आलेख में आप  नवरात्रि के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।  आप पाएंगे  कि  कई जानकारियां ऐसी भी हैं जिनसे हम अनभिज्ञ हैं।  श्री आशीष कुमार जी ने धार्मिक एवं वैज्ञानिक रूप से शोध कर इस आलेख एवं पुस्तक की रचना की है तथा हमारे पाठको से  जानकारी साझा  जिसके लिए हम उनके ह्रदय से आभारी हैं। )

 

Amazon Link – Purn Vinashak

 

☆ नवरात्रि – एक तथ्यात्मक विवेचना

 

हम दिव्य शक्ति को कई संभावित तरीके से प्रस्तुत कर सकते हैं जितनी भी हमारी चेतना हमें अनुमति देगी। मैंने आपको कुछ विशेष दिनों और रातों के विषय में पहले ही बताया है। उसी क्रम में एक वर्ष में चार बार हमारी पृथ्वी पर ऊर्जा का अनुक्रम आता है, यह लगातार नौ दिनों तक इतना खास समय होता है कि उन विशेष दिनों में किए गए हर कार्य के अच्छे परिणाम मिलते हैं।आपको अवश्य ही दो सामान्य नवरात्रि के विषय में एक वसंत नवरात्रि, जिसे चैत्र के चंद्र महीने (सर्दियों के बाद, मार्च-अप्रैल) में मनाया जाता है। भारत के कई क्षेत्रों में यह त्यौहार वसंत की फसल काटने के बाद और अन्यो में फसल के दौरान ही पड़ता है। वसंत नवरात्रि के नौवें दिन भगवान राम के जन्म के रूप में मनाया जाता है और उसे राम नवमी कहा जाता है।

दूसरे, शरद नवरात्रि है।आपको ज्ञात नहीं होगा की एक जीव अपने एक जीवन काल में दस महाविद्याओं में से केवल एक को ही सिद्ध करके उस एक देवी की सारी शक्तियाँ प्राप्त कर सकता है। परन्तु केवल रावण ही एक ऐसा जीवनधारी हुआ है जिसने अपने दस मुखों से एक साथ दस महाविद्याओं के मंत्रो का जाप करके उन्हें सिद्ध किया था। इसलिए रावण के पास दस की दस महाविद्याओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ थी। भगवान राम इससे अवगत थे इसलिए युद्ध के समय भगवान राम ने देवी का नौ दिन रातों तक व्रत किया था। व्रत की पहली रात्रि ही देवी माँ ने स्वयँ प्रकट होकर भगवान राम को आशीर्वाद दिया की इसी पल से उनकी दस महाविद्याओं की शक्तियाँ रावण उपयोग नहीं कर पायेगा। और हुआ भी वो ही। अगर रावण के पास से दस महाविद्याओं की शक्तियाँ विलुप्त ना होती तो उसे हराना असंभव था। तभी से भगवान राम द्वारा ही शरद नवरात्रि का व्रत आरम्भ हुआ।

ये दो नवरात्रि वसंत और शरद ऋतु के मौसम में पड़ते हैं जिसमें वर्ष के बाकी दिनों की तुलना में बीमारियां अधिक होती हैं। धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के अतिरिक्त, लोग इन दो नवरात्रियों के दौरान शरीर और मस्तिष्क को साफ करने और देवी की कृपा से रोगों को रोकने के लिए नौ दिन उपवास रखते हैं।

लेकिन तीन और ना कि केवल दो और नवरात्रि भी होते हैं। कुछ लोगों को वर्ष में देवी पूजा के दो और नौ दिनों के विषय में ज्ञात है जिन्हें गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इन दो गुप्त नवरात्रियों में आम तौर पर आम गृहस्थ आश्रम के सदस्यों के द्वारा पूजा की अनुमति नहीं होती है, लेकिन इन दिनों तांत्रिकों द्वारा गुप्त रूप से दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। इन दो गुप्त नवरात्रियों में से एक माघ माह (जनवरी – फरवरी) में आती हैं सर्दी के मौसम में। इस गुप्त नवरात्री के नौ दिनों में से उत्सव का पाँचवा दिन अक्सर स्वतंत्र रूप से वसंत पंचमी या बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है, जो हिन्दू परंपरा में वसंत की आधिकारिक शुरुआत है, जिसमें देवी सरस्वती जो की कला, संगीत, लेखन अदि की देवी है का स्वागत पतंग उड़ाने के माध्यम से किया जाता है। कुछ क्षेत्रों में, वसंत पंचमी को प्यार के हिंदू देवता, ‘कामदेव’ के दिन के रूप में भी मनाते हैं। दूसरी गुप्त नवरात्री मानसून के मौसम की शुरुआत में आषाढ़ माह (जून-जुलाई) में आती है।

लेकिन दुनिया में बहुत कम लोग ही पाँचवीं नवरात्रि ‘महा गुप्त नवरात्रि’ के नौ दिनों के विषय में अवगत हैं, जिनके आने के समय की गणना महान ज्योतिषियों द्वारा करना भी बहुत कठिन है। उस ‘महा गुप्त नवरात्रि’ के समय हमारे सौरमंडल से और अस्तित्व के अन्य क्षेत्र से पृथ्वी पर सचमुच में बहुत ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह ‘महा गुप्त नवरात्रि’ के नौ दिन असल में एक साथ आने की जगह खंडों या भागों में आते हैं। आप समझ सकते हैं कि यह ‘महा गुप्त नवरात्रि’ वह समय है जब हमारे ब्रह्मांड में दैवीय इच्छा के साथ कुछ बड़ा परिवर्तन होने जा रहा होता है। यह भी जरूरी नहीं है एक ये ‘महा गुप्त नवरात्रि’ हमारे वर्षों के मानकों के अनुसार प्रत्येक वर्ष आये। यह वह समय है जब अनंत शक्ति का दिव्य पुरुष (पुरुष देवताएवं भगवान) रूप भी ब्रह्मांड के स्त्री पहलू की पूजा करता है।

आशीष ने कहा, “क्या बात है सर, मैंने इस पाँचवें नवरात्रि के विषय में कभी नहीं सुना है। महोदय, कृपया मुझे यह भी बताएं कि लोग देवताओं और देवियों के स्वरूप के विषय में जो बताते हैं क्या वे सही हैं? अर्थात स्वर्ग में रहने रहने वाले बहुत सारे देवता और देवी हैं, जिनमे से कुछ के चार सिर हैं, कुछ के बहुत सारे हाथ हैं आदि?”

 

© आशीष कुमार  

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments