॥ श्री रघुवंशम् ॥

॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #17 (21 – 25) ॥ ☆

रघुवंश सर्ग : -17

वस्त्राभूषण बदल कर करने कुछ आराम।

अतिथि गये नेपथ्य में जहां आसन अभिराम।।21।।

 

धुले हाथ से सेवकों ने कर के केश-सिंगार।

धूप-गंध से सुखाकर छवि को दिया निखार।।22।।

 

पुष्पमाल मोती गुंथी से सज्जित कर माथ।

पद्यराग मणि नाथ दी, नवल प्रभा के साथ।।23।।

 

चंदन-कस्तूरी मिला कर वपु का अँगराग।

गो-रोचन से पत्रवत चित्र लिखे सानुराग।।24।।

 

मुक्ता की माला पहिन चित्रित हंस दुकूल।

नई राज्य- श्री वधू पा नृपति जंचा अनुकूल।।25।।

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments