श्री हरभगवान चावला

ई-अभिव्यक्ति में सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री हरभगवान चावला जी का हार्दिक स्वागत।sअब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। कई स्तरीय पत्र पत्रिकाओं  में रचनाएँ प्रकाशित। कथादेश द्वारा लघुकथा एवं कहानी के लिए पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति सम्मान। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन।) 

आज प्रस्तुत है आपकी विचारणीय लघुकथा ‘कहानियाँ’।)

☆ लघुकथा – कहानियाँ ☆ श्री हरभगवान चावला ☆

माँ के पास सैंकड़ों कहानियाँ थीं। हर कहानी में एक राजा होता। राजा पर संकट आते, वह हर संकट को हराता और ख़ुशी-ख़ुशी राज करने लगता। कहानी के अंत में माँ कहती- जैसे वो राजा ख़ुश बसा, वैसे ही हम भी ख़ुश बसें।

कुछ सालों बाद- कहानी का अन्तिम वाक्य तो यही बना रहा, पर जैसे ही माँ कहती- जैसे वो राजा ख़ुश बसा, वैसे ही हम भी ख़ुश बसें- उसके होठों पर एक धिक्कारती सी हँसी आ विराजती।

कुछ और सालों बाद- कहानी के अन्तिम वाक्य में अचानक ही हम की जगह तुम आ गया। अब माँ कहती- जैसे वो राजा ख़ुश बसा, वैसे ही तुम भी ख़ुश बसो। खुशियों की इस मनवांच्छित नगरी से माँ के आत्मनिर्वासन को हम बूझ ही नहीं पाए।

फिर एक दिन कहानी में से राजा ग़ायब हो गया। हममें से किसी ने माँ से नहीं पूछा कि राजा कहाँ गया? हमने राजा की गुमशुदगी को चुपचाप स्वीकार कर लिया।

और फिर एक दिन राजा की कहानियाँ भी गुम हो गईं। हमें पता ही नहीं चला कि हम ख़ुद कब ऐसी कहानियों में तब्दील हो गये थे, जिन्हें कोई सुनना नहीं चाहता था।

© हरभगवान चावला

सम्पर्क –  406, सेक्टर-20, हुडा,  सिरसा- 125055 (हरियाणा) फोन : 9354545440

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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