श्री राकेश कुमार

(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ  की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” ज प्रस्तुत है नवीन आलेख की शृंखला – “ परदेश ” की अगली कड़ी।)

☆ आलेख ☆ परदेश – भाग – 2 ☆ श्री राकेश कुमार ☆

शिकागो शहर को अमेरिका के नक्शे में देखा तो उसकी स्थिति वहां के मध्य भाग में मिली, जैसे हमारे देश में नागपुर शहर की हैं।

शहर के बारे में जब जानकारी मिली की यहां तो पांच बड़ी झीलें हैं। सबसे बड़ी मिशिगन झील है, जिसका क्षेत्रफल ही बाईस हज़ार वर्ग मील से भी अधिक हैं। उसकी अपनी चौपाटी (Beach) भी है। उसमें बड़े बड़े जहाज भी चलते हैं। हमारे देश में उदयपुर को झीलों की नगरी कहा जाता है। लेकिन वहां की झीलें इतनी विशाल नहीं है, जितनी शिकागो शहर की हैं। हमारे भोपाल शहर के तालाब भी कम नहीं है, और उसकी स्थिति भी देश के मध्य भाग में हैं, तो क्यों ना इस शहर को “अमेरिका का भोपाल” शीर्षक से नवाज दिया जाय।                          

शहर में प्रवेश के समय से ही शीतल हवा के झोंके महसूस हो रहें थे। जैसे हमारे देश में सावन माह की पूर्वैयां हवाएं चलती हैं। मेज़बान ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया की शिकागो शहर को windy city का खिताब भी मिला हुआ हैं। जहां बड़ी बड़ी झीलें होंगी वहां ठंडी हवाऐं तो चलेंगी और मौसम को भी सुहाना बनाएं रखेंगीं।

शहर में सब तरफ हरियाली ही हरियाली हैं। आधा वर्ष तो भीषण शीत लहर/ बर्फबारी में निकल जाता हैं। जून माह से सितंबर तक गर्मी या यों कह ले सुहाना मौसम रहता है।

हमारे जैसे राजस्थान के भीषण गर्म प्रदेश के निवासियों को तो गर्मी के मौसम में भी ठंड जैसा महसुस हो रहा है। पता नही ठंड में क्या हाल होता होगा।

इस शहर की एक कमी है, कि चाय बहुत ही कम स्थानों पर मिलती हैं, हमारे जैसे चाय प्रेमियों को जब घूमने जाते हैं, तो चाय की बहुत तलब लगती है, तो कॉफी से ही काम चलाना पड़ता हैं। अगला भाग एक कप चाय के बाद ही पेश कर पाऊंगा।

© श्री राकेश कुमार

संपर्क –  B  508 शिवज्ञान एनक्लेव, निर्माण नगर AB ब्लॉक, जयपुर-302 019 (राजस्थान) 

मोबाईल 9920832096

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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