श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “बुनियाद।)  

? अभी अभी # 128 ⇒ बुनियाद? श्री प्रदीप शर्मा  ? 

 

बुनियाद को हम नींव भी कह सकते हैं, नींव के पहले पत्थर को हम शिलान्यास कहते हैं। सबसे बड़ी नींव होती है, शुभ संकल्प ! किसी के कल्याण अथवा हित के लिए जो पहला कदम उठाया जाता है, बस वहीं से उस कार्य की नींव पड़ जाती है।

एक पक्षी भी नीड़ का निर्माण करता है, सर्दी, पानी, ठंड से बचने के लिए घोंसले का निर्माण करता है, एक चूहे को भी बिल की तलाश होती है और एक शेर को भी अपनी मांद अथवा गुफा की। और तो और जहरीले सांप भी अपनी सुरक्षा और संवर्धन के लिए पाताल तक जाने के लिए तत्पर हो जाते हैं।।

जितना बड़ा जीवन उतनी ही अधिक सुरक्षा की तैयारी। किसी देश अथवा संस्कृति का जन्म यूं ही नहीं हो जाता। सदियां लगती हैं उसको बनने और संवरने में। कई उतार चढ़ाव, उथल पुथल और उत्थान पतन के नियति चक्र से गुजरने के बाद ही उसका अस्तित्व कायम रह पाता है। Rome was not built in a day.

हमारे स्वर्णिम अतीत पर भी कई बार ग्रहण लगा, लेकिन जहां बुनियाद मजबूत होती है, वहां मुसीबतें आंधी और तूफान की तरह आती रहती हैं, हमें लगातार झकझोर और कमजोर करने की कोशिश भी करती रहती है, लेकिन हम जिस परिश्रम, पसीने और बलिदान की मिट्टी से बने हैं, उसे देखते हुए वह थक हारकर वापस चली जाती है।।

हमारी आज की सफलता, सुरक्षा और मजबूती का श्रेय भी हमारी मजबूत बुनियाद को ही जाता है, जो तब रखी गई थी, जब हम पैदा भी नहीं हुए थे। आप जीवन में कितने भी आगे बढ़ जाएं, पढ़ लिख जाएं, भले ही देश के राष्ट्रपति बन जाएं, लेकिन अपने खुद के बाप नहीं बन सकते। जबकि लोग आपके पिताजी को अवश्य कह सकते हैं, यह देखो, राष्ट्रपति का भी बाप जा रहा है।

राष्ट्र आपकी धरोहर है, बपौती नहीं, क्योंकि ऐ मां, तेरे बच्चे कई करोड़। सबका इस देश पर उतना ही अधिकार है जितना आपका और मेरा। एक संयुक्त परिवार के जिम्मेदार सदस्य की भांति आप भी परिवार की देखभाल कीजिए और अपना उत्तरदायित्व निभाइए, लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा बनिए, और नि:स्वार्थ रूप से देश की सच्ची सेवा कीजिए।।

इतनी भी सावधानी जरूरी है कि कोई अवांछित तत्व आपकी लोकतंत्र की नींव को कमजोर अथवा खोखली ना कर दे। जब तक हमारे इरादे बुलंद है, हमारी इमारत भी बुलंद है। इसके रहनुमा बनें, रहगुजर बनें, आका अथवा अधिनायक नहीं क्योंकि यह भोली भाली जनता जिसे कभी सिर पर बैठाती है, समय आने पर उसे धूल भी चटा देती है।

अगर हमारे दिलों में एक दूसरे के लिए प्यार और परवाह है, तो बांटने के लिए बहुत है। लेकिन जहां दिलों में नफरत और वैमनस्य है, वहां सिर्फ दिलों का बंटवारा ही होता है, लोकतंत्र और इंसानियत की नींव हिल जाती है, केवल कोई देश ही नहीं, पूरी मानवता भी खतरे में पड़ जाती है।

हमारी इंसानियत जड़ें बहुत गहरी हैं, इन्हीं जड़ों ने हमें पूरे विश्व से जोड़ रखा है, क्योंकि पूरी वसुधा ही हमारी कुटुंब है। जय हिंद, जय जगत।।

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments