श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं । आज से प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकशआज प्रस्तुत है आपकी ग़ज़ल “हमने उनके ख़्वाबों को …”)

? ग़ज़ल # 15 – “हमने उनके ख़्वाबों को …” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ?

 

मुहब्बत वाले क़यामत की नज़र रखते हैं,

महबूब को हो तकलीफ़ तो ख़बर रखते हैं।

 

हमने उनके ख़्वाबों को आँखों पर सजाया,

हमपर आई सख़्त धूप वो शजर रखते हैं।

 

उन्होंने हमारी रातों को ख़्वाबों से सजाया,

उनकी यादें हम दिल में हर पहर रखते हैं।

 

ग़ज़ल सिर्फ़ आपही लिखना नहीं जानते हो,

हम रदीफ़ संग क़ाफ़िया ओ बहर रखते हैं।

 

हमने तो लुटा दी जन्नत उनकी चाहत में

वो हमेशा मिल्कियत पर तेज नज़र रखते हैं।

 

फ़लक से तोड़ तारे बिछाए तेरी रहगुज़र,

खुद के लिए टूटे प्यालों में ज़हर रखते हैं।

 

उन पर होवे इनायात की बारिश हर पहर,

आतिश उनकी मुसीबतों से बसर रखते हैं।

 

© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’

भोपाल, मध्य प्रदेश

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments