☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय  🌹

(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)

☆ मंटो और मोहन महर्षि की याद

यह सप्ताह प्रसिद्ध लेखक, फिल्म पटकथाकार और पत्रकार सआदत हसन मंटो और प्रसिद्ध रंगकर्मी मोहन महर्षि की याद में बीता। जहां मंटो का जन्मदिन था , वहीं मोहन महर्षि हमसे विदा हो गये। मंटो का जन्म समराला(पंजाब) के निकट हुआ और फिर उन्होंने मुम्बई में छह वर्ष बिताये और पाकिस्तान बनने पर भारत छोड़कर चले गये। अपने खुलेपन से लिखने के कारण अनेक मुकद्दमे और परेशानियां भी झेलीं लेकिन वे कहते थे कि क्या करूं, यह समाज ही अश्लील है और मेरी कहानियां इसी समाज से आती हैं। वैसे देश विभाजन का दर्द वे सह नहीं पाये थे और टोबा टेक सिंह जैसी मार्मिक कहानी लिखी थी और इसके नायक की तरह दो दी बार मंटो को भी मेंटल अस्पताल भर्ती होना पड़ा था। इस कहानी पर आधारित नाटक बहुत बार मंचित किया गया। इनके तीन बेटियां ही हैं जिन्हें कुछ वर्ष पूर्व पंजाब के समराला के निकट गांव में आमंत्रित कर सम्मानित किया गया था। मंटो की कहानियां और विभाजन पर इनकी लघुकथाएं कमाल की हैं।

जहां तक रंगकर्मी मोहन महर्षि की बात है वे मूल रूप से राजस्थान से थे लेकिन पंजाब विश्वविद्यालय के इंडियन थियेटर डिपार्टमेंट में उन्होंने न जाने कितने रंगकर्मियों को रंगकर्म में प्रशिक्षित किया। खुद भी फिल्म में काम किया। धर्मवीर भारती के खंड काव्य नाटक अंधा युग का मंचन भी अविस्मरणीय है। ऐसे रंगकर्मी का जाना बहुत बड़ी क्षति है। मंटो व मोहन महर्षि दोनों को नमन्।

बिलासपुर में बंसीराम शर्मा जयंती : हिमाचल के बिलासपुर में लेखक संघ द्वारा लोकसाहित्य के पुरोधा डाॅ बंशीधर शर्मा की जयंती के अवसर पर ऑनलाइन साहित्यिक संगोष्ठी आयोजित की गयी। इसमें डाॅ बंशीधर की किन्नौर लोक साहित्य , संस्कृति के क्षेत्र में किये गये कार्यों का उल्लेख किया गया। कार्यक्रम में बहुभाषी काव्य गोष्ठी भी आयोजित की गयी। एक जेबीटी शिक्षक से डाॅ बंशीधर  हिमाचल कला व संस्कृति अकादमी के सचिव पद तक पहुंचे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ अनेक राम सांख्यान ने की जबकि संचालन रविंद्र कुमार आर्य ने किया।

प्रवासी रचनाकारों का काव्य संग्रह : गीतांजलि बहुभाषी साहित्यिक समुदाय की ओर से ऋषिकेश में ‘हरपल बसंत रचते हैं’ काव्य संग्रह का विमोचन किया गया। इस दो दिवसीय संगोष्ठी मे इसका लोकार्पण उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट कर्नल गुरमीत सिंह ने किया। पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रहे रमेश कुमार पोखरियाल निशंक, डाॅ योगेन्द्र नाथ अरूण , डाॅ रजनीश शुक्ल ने इसकी भूरि भूरि प्रशंसा की। इस संकलन की परिकल्पना डाॅ कृष्ण कुमार ने की जबकि संपादन डाॅ रश्मि खुराना ने किया है। काव्य संकलन में इंग्लैंड में रह रहे 29 कवियों की रचनायें संकलित हैं। डाॅ रश्मि खुराना को बधाई।

सतीश कश्यप का नया स्वांग कृष्णा : हरियाणा के प्रसिद्ध लोककलाकार व रंगकर्मी डाॅ सतीश कश्यप को आप दादा लखमी फिल्म और काॅलेज कांड में नेगेटिव रोल में  देख चुके हो। वैसे वे स्वांग के लिये हरियाणा ही नहीं देश विदेश में जाने जाते हैं और अब उन्होंने नये स्वांग कृष्णा का मंचन किया है हिसार के राधाकृष्ण मंदिर में। सबसे बड़ी बात कि यह स्वांग संस्कृत में है। यह स्वांग गीता और ऋषभ गांधार पर आधारित हैं। स्वयं सतीश कश्यप इसमें कृष्ण की भूमिका में हैं जबकि कुलदीप खटक अर्जुन की भूमिका में हैं। पंडित प्रीतपाल ने इसका मधुर संगीत दिया है और सह निर्देशक हैं संगीत में नरेश सिंघल। नगाड़े पर राजेश हैं।

इनके अतिरिक्त संगीत में स्वर दिये हैं – विभोर, रोली भारद्वाज और संजना कश्यप ने। ये कृष्ण की गोपियों की भूमिका में भी रहीं ! इसकी अवधि एक घंटे की है। सतीश कश्यप को नये स्वांग के लिये बहुत बहुत बधाई।

साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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