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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🙏 💐 जुझारू साहित्यकार डॉ.राजकुमार शर्मा अनंत में विलीन – विनम्र श्रद्धांजलि 💐🙏

28/1/24 को शाम 8 बजे,  डॉ. राजकुमार शर्मा, जो प्रयागराज के विख्यात साहित्यकार थे, हमें छोड़कर चले गए। उन्होंने अपना पूरा जीवन हिंदी साहित्य को समर्पित किया और उनका योगदान अविस्मरणीय है। हमें एक महान साहित्यिक की कमी महसूस होगी, परंतु उनकी यादें हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी।

डॉ राजकुमार शर्मा प्रयागराज के उन वयोवृद्ध साहित्यकारों में से थे जिन्होने अपना पूरा जीवन हिंदी साहित्य को समर्पित कर दिया। देवबंद सहारनपुर से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए संभवत: 1956 में आए थे, इनको इलाहाबाद का साहित्यिक वातावरण इतना रुचा कि फिर यहीं के होकर रह गए।  उन्होंने त्रिवेणी प्रकाशन की स्थापना की और अनेक लेखकों साहित्यकारों की पुस्तकों का प्रकाशन किया।

उन्होंने सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के संस्मरण पुस्तक लिखी। इसके अलावा देवता नहीं हूं मैं, मुक्तक शतक, रावण की निगाहें उनकी कहानियों और कविताओं के  संकलन भी प्रकाशित हुये । वे जीवन पर्यन्त निःस्वार्थ भाव से साहित्यसेवा में निरंतर लगे रहे।

उन्होंने अखिल भारतीय हिन्दी सेवी संस्थान की स्थापना की जिसके माध्यम से वे अनेक वर्षो से इलाहाबाद में साहित्यिक कार्यक्रमों के आयोजन करते रहे। महादेवी वर्मा के साथ साहित्यकार पत्रिका का सम्पादन भी किया।

उनकी धर्मपत्नी, श्रीमती सरोज शर्मा, भी एक उत्कृष्ट कवयित्री और लेखिका थीं। गत वर्ष 5 अक्टूबर को उनका भी देहांत हो गया था। उनके परिवार तीन बेटियां और एक पुत्र है। 

🙏 ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डॉ राजकुमार शर्मा जी को विनम्र श्रद्धांजलि 🙏

 ≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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