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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 अभ्युदय अंतर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा डॉ मुक्ता के गहरे पानी पैठ आलेख-संग्रह का हुआ लोकार्पण 🌹

कल दिनांक 8 अप्रैल 2023 को अभ्युदय अंतर्राष्ट्रीय संस्था, बंगलौर द्वारा हिंदी भवन,नई दिल्ली में डॉ मुक्ता,माननीय राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत,हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ महिला रचनाकार के सम्मान से सम्मानित,सदस्य केंद्रीय साहित्य अकादमी,पूर्वनिदेशक हरियाणा साहित्य अकादमी, तदोपरांत पूर्वनिदेशक,हरियाणा ग्रंथ अकादमी को साहित्यिक-सांस्कृतिक उत्कृष्ट योगदान के निमित्त अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय सम्मान 2022 से अलंकृत किया गया।

गहरे पानी पैठ अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में रचित डॉ• मुक्ता का दसवाँ आलेख-संग्रह का जिसमें पचहत्तर आलेख संग्रहीत हैं।प्रथम भाग में समसामयिक ज्वलंत मुद्दों से संबंधित 37 चिंतनपरक आलेख हैं और द्वित्तीय भाग में सकारात्मक सोच से संबंधित 38 सुचिंतनपरक आलेख हैं,जिनमें जीवन-दर्शन निहित है और वे मानव को जीने की सहज व सुगम राह दर्शाते हैं।जीवन के रंग अजब-गज़ब हैं और प्रकृति पल-पल रंग बदलती है।समय निरंतर बहता रहता है।साहित्यकार अपने आसपास जो देखता व अनुभव करता है,उनमें से कुछ घटनाएं,हादसे व पात्र उसके ज़हन में इस क़दर घर बना लेते हैं,जिनके प्रभाव से वह चाहकर भी मुक्त नहीं हो पाता।उन असामान्य परिस्थितियों में उसकी लेखनी हृदय के उद्वेलन को शब्दबद्ध करने को विवश कर देती है।सो!यह है समसामयिक चिंतन के आलेखों की रूपरेखा,जो इस संग्रह के प्रथम भाग का हिस्सा बने हैं।उक्त ज्वलंत मुद्दे हमारे जीवन को प्रभावित नहीं करते, तहलक़ा तक मचा देते हैं। वास्तव में वे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।इसलिए लेखक उनका सांगोपांग विश्लेषण करने को बाध्य होता है।

द्वितीय खंड के आलेख भोर की सिंदूरी आभा की स्वर्णिम रश्मियाँ हैं,जो संपूर्ण विश्व को ही नहीं;जनमानस को भी आलोकित व ऊर्जस्वित करती हैं।वे संशय व दुविधाग्रस्त भ्रमित मानव का पथ-प्रशस्त कर विषम विसंगतियों से आहत व त्रस्त हृदय को आत्मविश्वास से आप्लावित करती हैं;उजास से भरती हैं तथा जीवन से निराश मानव को आशान्वित करती हैं।ये आलेख मरूभूमि में भटकते अतृप्त मानव मन की तृषा को शांत करने में समर्थ है;दु:खों के सागर में डूबते-उतराते मानव को साहिल तक पहुंचाने की क्षमता रखते हैं तथा जीवन में समन्वय व सामंजस्यता को अपनाने की सीख देते हैं। वास्तव में साहित्य संवेदनाओं, एहसासों व जज़्बातों का लेखा-जोखा है,जिनका सृजन- अनुभव सागर के गहरे जल में पैठकर किया जा सकता है। जनवरी माह में विश्व पुस्तक मेले में इंद्रप्रस्थ लिट्रेचर फेस्टिवल के समृद्ध मंच पर डॉ• मुक्ता के क्षितिज चिंतन के आलेख-संग्रह का लोकार्पण हुआ और उन्हें विशिष्ट साहित्य सेवा अवॉर्ड 2022 से विभूषित किया गया।

 – डॉ मुक्ता 

🌹 अभ्युदय अन्तरराष्ट्रीय द्वारा हिन्दी भवन दिल्ली में पुस्तक लोकार्पण व आस्ट्रेलिया से पधारी विश्व प्रसिद्ध विदुषी डॉ मृदुल कीर्ति व जयपुर से पधारी वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला बिहारी जी के विशेष स्वागत व सम्मान में भव्य आयोजन 🌹

अभ्युदय अन्तर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। तत्पश्चात नरेंद्र शर्मा खामोश द्वारा सरस्वती वंदना व चंदा प्रह्लादका, इन्दु झुनझुनवाला, रचना शर्मा तथा मञ्जरी पाण्डेय द्वारा गाए गए संस्था के ध्येयगीत के साथ आयोजन का प्रारम्भ हुआ। प्रारम्भ में शाॅल, मुक्तकमाला, मनीप्लांट के पौध प्रदान कर अतिथियों का भव्य स्वागत हुआ।

इस भव्य आयोजन में वर्ष 2022 का धोषित अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय संस्था का 21,000 /- (इक्कीस हजार) राशि के साथ अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय शलाका सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला बिहारी, अभ्युदय अंतर्राष्ट्रीय आदि शंकराचार्य सम्मान 2021 डॉ. मृदुल कीर्ति व अभ्युदय अंतर्राष्ट्रीय चित्रा मुद्गल सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शशी मंगल को प्रदान किया गया । इसके साथ ही दिल्ली की कुछ ख्यातिलब्ध विभूतियों को भी सम्मानित किया गया ।

संस्था की संस्थापक अध्यक्ष डाॅ इन्दु झुनझुनवाला ने स्वागत के साथ संस्था की संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की ।

इस अवसर पर लोकार्पित दस पुस्तकें थीं –

कबीर एक शाश्वत यात्रा, प्रेमचंद कथन और संदर्भ, वो जो गुमनाम हुए – ये तीन पुस्तकें अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय द्वारा सम्पादित व प्रकाशित की गई।

बूंद बूंद जीवन व आज की अहिल्या – डॉ इन्दु झुनझुनवाला

यशोधरा, वृथा नही है रागिनी – चन्दा प्रह्लादका

भाव प्रवाह- छत्र छाजेड

शिक्षा के बदलते स्वरूप – डॉ निशा अग्रवाल

गहरे पानी पैठ – डॉ मुक्ता

परिचर्चा में वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपने विचार रखे ।

जिनमें मुख्य रूप से कबीर पुस्तक पर बोलते हुए दिल्ली दूरदर्शन के भूतपूर्व निदेशक डाॅ अमरनाथ “अमर” जी ने कबीर की शाश्वत यात्रा से अभ्युदय की यात्रा का अद्भुत साम्य बताते हुए शोधार्थियों के लिये एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बताया। मुख्य अतिथि, जाने माने साहित्यकार, शिक्षाविद प्रो ( डाॅ) नवीनचन्द्र लोहनी ने प्रेमचंद पर सारगर्भित वक्तव्य देते हुए हर युग मे प्रासंगिक प्रेमचंद से लिखने की ताकत ग्रहण करने की बात कही। काशी से पधारी प्रो ( डाॅ) रचना शर्मा ने गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित संस्मरणों पर आधारित डाॅ इन्दु झुनझुनवाला द्वारा संपादित पुस्तक पर भावपूर्ण वक्तव्य देते हुए स्वतंत्रता के लिये गुमनाम कुर्बानियों के संस्मरण का उल्लेख किया।

डाॅ इन्दु द्वारा लिखित आज की अहिल्या पर अपने विचार व्यक्त करती हुई कलकत्ता से पधारी चंदा प्रह्लादका ने पुस्तक के अंश पर आधारित नारी सशक्तिकरण का उल्लेख करते हुए आज के संदर्भ में संदर्भित अहल्या के स्वरूप का वर्णन किया। डाॅ इन्दु की दूसरी पुस्तक ” बूँद बूँद जीवन” पर काशी से आई डाॅ मञ्जरी ने पुस्तक पर विचार व्यक्त करते हुए बताया – कि नट नटी संवाद की तरह कथोपकथन शैली पर आधारित संस्कृत के चम्पू काव्य विधा मे लिखा है । इसकी कहानी पूर्णतया नारी संघर्ष पर और आज के लिये प्रेरक है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार विजयकिशोर मानव ने अभ्युदय के भगीरथ प्रयास की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए सभी साहित्यकारों को एकजुट होकर सार्थक सृजन का समर्थन करने पर बल दिया । इसके लिये कार्यशालाओं के आयोजन की भी अपील की ।

वरिष्ठ कवि व साहित्यकार लक्ष्मीशंकर बाजपेयी ने भी महत्वपूर्ण आयोजन और साहित्य की वर्तमान दशा पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए सारगर्भित वक्तव्य दिया । विशिष्ट अतिथि जयपुर से आयीं मृदुला बिहारी अभिभूत थी । अस्वस्थता के बावजूद भव्य आयोजन का हिस्सा बनीं और साहित्य संबंधी महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला । ऑस्ट्रेलिया से विशेष रूप से आई परम विदुषी मृदुलकीर्ति जी ने उपनिषद, गीता पर अपने काव्यानुवाद को सुना कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया । आपने ओजस्वी भाषण से सबको झंकृत किया ।

दिल्ली आकाशवाणी के पूर्व सहायक निदेशक संस्था के उपाध्यक्ष भीमप्रकाश शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया । सफल संचालन चार सत्रों में सुषमा सिंह, डाॅ प्रियंका कटारिया, सुमन द्विवेदी, सुनीता बंसल, डॉ निशा अग्रवाल ने किया ।

इस आयोजन में सहभागिता निभाने के लिए राजस्थान से पश्चिम जोन की अध्यक्ष डॉ निशा अग्रवाल, विशेष सचिव राजपूताना इतिहास के अध्येता शिवराज पाल, संतोष बंसल, सुरेश बिंदल, रामवतार बैरवा , आचार्य विजय आर्य, सुषमा आर्य, छत्र छाजेड , चन्मद्हारशेखर आश्री, कर्नल प्रताप सिंह, मदन साहनी, शाखा की अध्यक्ष लता नौवाल, हरियाणा शाखा सचिव मंजु तंवर, डाॅ महालक्ष्मी केशरी के साथ दिल्ली व हरियाणा के संस्था के पदाधिकारियों व सदस्यों के साथ दिल्ली शहर के तमाम प्रतिष्ठित वरिष्ठ गणमान्य साहित्यकारों व कलाप्रेमियों विद्वतजनों जैसे रमा सिंह, डाॅ मुक्ता, अमरजीत कौर आदि की गरिमामय उपस्थिति ने कार्यक्रम को अद्भुत स्वरूप प्रदान किया । कला साहित्य संस्कृति को समर्पित संस्था “कस्तूरी” और उसके कलाकारों व अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय के उपस्थित सदस्यों को माला, प्रमाणपत्र आदि से अभिनन्दन किया गया।

अंत में धन्यवाद ज्ञापन आकाशवाणी के भूतपूर्व निदेशक संस्था के उपाध्यक्ष भीमप्रकाश शर्मा जी ने किया ।

– डाॅ इन्दु झुनझुनवाला, संस्थापक अध्यक्ष, अभ्युदय अन्तर्राष्ट्रीय संस्था

साभार –  डॉ निशा अग्रवाल, जयपुर ,राजस्थान

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Dr Nisha Agrawal

Thanks a lot Sir