श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “जीने का अंदाज नया है…”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 221 ☆
☆ # “जीने का अंदाज नया है…” # ☆
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जीने का अंदाज नया है
अब यह राज नया है
नए-नए हाकिम है अब तो
इनके सर पर ताज नया है
बदल रहे हैं परिवेश को
बदल रहे हैं पारंपरिक भेष को
बदलने निकले हैं गली चौराहे
बदल रहे हैं संतो के उपदेश को
हवाओं को बदलेंगे शायद
घटाओं को बदलेंगे शायद
बिजलियों को गर्जना मना है
तूफानों का वेग बदलेंगे शायद
इनमें एक उन्माद भरा है
जनमानस अंदर से डरा है
छुपे हुए हैं उनके इरादे
पुराना जख्म अभी भी हरा है
उलझ रहे हैं इन धारों से
शांत बैठे इन थकेहारों से
कहीं चिंगारी ज्वाला ना बन जाए
फिर बचना मुश्किल होगा
इन अंगारों से/
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© श्याम खापर्डे
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