सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम गीत – कटी शाख है बरगद की…।
रचना संसार # 52 – गीत – कटी शाख है बरगद की… ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
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पूछ रहा उर बना शिला,
कब आयेंगे राम।
फिर दें तार अहिल्या सा,
नित्य जपूँ मैं नाम।।
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मुरझाती घर की बगिया,
शूल बिछे हैं राह।
रिश्ते तुलते पैसों से,
निकले उर से आह।।
मुँहजोर हुए सब अपने,
बिक जाते बेदाम।
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कटी शाख है बरगद की,
रोता शीशम आज।
छाया को पंछी तरसें,
सिर बबूल के ताज।।
चोटिल है फूल चमेली,
पथिक झेलते घाम।
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शोषण बच्चों का होता,
सूखे नद तालाब।
लाखों बंधन समाज के,
मुख पर लगा नकाब।।
रोती है घर की तुलसी,
जाना है प्रभु-धाम।
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© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)
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