सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम नवगीत – मन विचलित है

? रचना संसार # 50 – नवगीत – मन विचलित है…  ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’ ? ?

फटे-पुराने कपड़े उनके,

धूमिल उनकी आस।

जीवन कुंठित है अभाव में,

खोया है विश्वास।।

 

अवसादों की बहुतायत है,

रूठा है शृंगार।

अंग-अंग में काँटे चुभते,

तन-मन पर अंगार।।

मन विचलित है तप्त धरा है,

कौन बुझाये प्यास।

 

चीर रही उर पिक की वाणी,

काॅंपे कोमल गात।

रोटी कपड़ा मिलना मुश्किल,

अटल यही बस बात।।

साधन बिन मौन हुआ उर,

करें लोग परिहास।

 

आग धधकती लाक्षागृह में,

विस्फोटक सामान।

अंतर्मन भी विचलित तपता,

कोई नहीं निदान।

श्रापित होता जीवन सारा,

श्वासें हुई उदास।

© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)

संपर्क –1308 कृष्णा हाइट्स, ग्वारीघाट रोड़, जबलपुर (म:प्र:) पिन – 482008 मो नं – 9424669722, वाट्सएप – 7974160268

ई मेल नं- [email protected], [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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