श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता – नापाकी अब पाक की… । आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 259 ☆
☆ नापाकी अब पाक की… ☆ श्री संतोष नेमा ☆
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सेना अपने देश की, दुनिया में मशहूर |
आप्रेशन सिंदूर ने, तोड़ा पाक गुरूर ||
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बदला हमने ले लिया, घर में घुस कर खूब |
हुआ चकित सारा जगत, देख पाक का रूप ||
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ताकत का करता नहीं, भारत कभी गुमान |
सही वक्त पर चोट कर, छोड़े स्वयं निशान ||
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पाक न सह पाया कभी, भारत का आघात |
सेना ने ठंडे किए, उसके सब जज्बात ||
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गीदड़ भभकी की उसे, लत लागी बेकार |
होती हैं नाकाम सब, पाक व्यर्थ हुंकार ||
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इस भारत को भूल से, समझें मत कमजोर |
सही वक्त पर वार कर, घाव करे पुरजोर ||
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सीमा पर घुसपैठ का, करते काम तमाम |
वीर सैनिकों को करें, मिलकर सभी प्रणाम ||
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आँख उठाना गैर का, हमको नहीं कबूल |
दुश्मन मिट्टी में मिलें, अपना यही उसूल ||
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चाल कुटिल हम जानते, ताकत लो पहचान |
फन कुचलें हम सांप का, सुन लो ए शैतान ||
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भीख माँगता फिर रहा, जग में पाकिस्तान |
जाकर शरण गुहारता, बचा हमें श्रीमान ||
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एटम बम की धमकियाँ, हुईं सभी नाकाम |
नापाकी अब पाक की, सरेराह बदनाम ||
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साथ खड़े हों देश के, अपना यह कर्तव्य |
पाएंगे संतोष तब, नहीं व्यर्थ वक्तब्य ||
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© संतोष कुमार नेमा “संतोष”
वरिष्ठ लेखक एवं साहित्यकार
आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.) मो 7000361983, 9300101799
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈