श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 174 – मनोज के दोहे ☆
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सूरज की दादागिरी, चलती है दिन रात।
हाथ जोड़ मानव करें, वरुणदेव दें मात।।
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धूप दीप नैवेद्य से, प्रभु को करें प्रसन्न।
द्वारे में जो माँगते, उनको दें कुछ अन्न।।
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बैशाख माह में दान का, होता बड़ा महत्व।
यही पुण्य संचित रहे, सत्य-सनातन-तत्त्व।।
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मंदिर चौसठ योगनी, भेड़ाघाट सुनाम।
तेवर में माँ भगवती, त्रिमुख रूप सुख धाम।।
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पहलगांव में फिर दिया, आतंकी ने घाव।
भारत को स्वीकार यह, नर्किस्तानी ताव।।
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भारत को सुन व्यर्थ ही, दिलवाता है ताव।
फिर से यदि हम ठान लें, गिन न सकेगा घाव।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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