श्री एस के कपूर “श्री हंस”

 

☆ “श्री हंस” साहित्य # 158 ☆

☆ गीत – ।।खाली मुट्ठी हाथ की जाओगे सब छोड़।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

खाली मुट्ठी हाथ की  जाओगे सब छोड़।

तिनका – तिनका रिश्तों का तू मिल कर जोड़।।

***

हर किसीको अहमियत देना सीख ले आदमी।

हर किसी के दर्द को भी दीख ले बस आदमी।।

बरसों के बने रिश्ते तू     पल भर में मत तोड़।

खाली मुट्ठी हाथ की जाओगे सब छोड़।।

***

हर क्षण पल-  पल में  बदल रहा है आदमी।

हर किसी के सुख में दे दखल रहा है आदमी।।

क्रोध नहीं प्रेम की ओर तू खुद को जरा मोड़।

खाली मुट्ठी हाथ की जाओगे सब छोड़।।

***

शांत रह जो कमाया क्रोध में मत बहा उसको।

क्यों नफरत की दीवार उठाई तू   ढहा उसको।।

एक ही मिला जीवन तू आदमी बन जरा बेजोड़।

खाली मुट्ठी हाथ की जाओगे सब छोड़।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈
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